Israel Vs Iran Military Power: हिज्बुल्लाह से संघर्ष के बीच कभी भी शुरू हो सकती है जंग, जानिए कौन कितना ताकतवर?

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Israel Iran Power
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Israel Vs Iran Military Power: मिडिल ईस्ट में दशकों से जारी संघर्ष और राजनीतिक अस्थिरता के बीच, इजराइल और ईरान क्षेत्र की सबसे प्रमुख शक्तियों के रूप में उभरे हैं। दोनों देशों के बीच सीधे सैन्य टकराव तो नहीं हुआ है, लेकिन इनके बीच छद्म युद्ध (Proxy War) की स्थिति लगातार बनी रहती है।

इस संघर्ष का मुख्य केंद्र बिंदु हिज्बुल्लाह जैसे संगठनों के माध्यम से हो रहा है, जो क्षेत्रीय अस्थिरता को और बढ़ावा दे रहा है। हिज्बुल्लाह, जो ईरान द्वारा समर्थित एक शक्तिशाली शिया आतंकवादी संगठन है, लंबे समय से इजराइल के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष में शामिल है और ईरान की क्षेत्रीय रणनीति का हिस्सा बना हुआ है।

इजराइल और ईरान: सैन्य ताकत की तुलना

यदि हम इजराइल और ईरान की सैन्य क्षमताओं की तुलना करें, तो दोनों देशों की ताकतों के अलग-अलग पहलू हैं। इजराइल, अपनी आधुनिक सैन्य तकनीक, एडवांस एयर फोर्स, और मजबूत मिसाइल डिफेंस सिस्टम के लिए प्रसिद्ध है। इसके पास अमेरिकी समर्थन से प्राप्त अत्याधुनिक हथियार प्रणालियां हैं, और इसकी सैन्य क्षमताएं वैश्विक स्तर पर भी बेहद एडवांस मानी जाती हैं। ॉ

इजराइल के पास ‘आयरन डोम’ जैसी रक्षा प्रणाली है, जो हिज्बुल्लाह जैसे समूहों से दागे गए रॉकेटों को रोकने में बेहद कारगर साबित होती है। इसके अलावा, इजराइल के पास परमाणु हथियार रखने की भी संभावना है, हालांकि इसे इजराइल ने कभी आधिकारिक तौर पर स्वीकार नहीं किया है।

ईरान की सैन्य शक्ति, जानिए

वहीं दूसरी ओर, ईरान अपनी पारंपरिक सेना, बैलिस्टिक मिसाइल क्षमताओं और बड़े पैमाने पर छद्म युद्ध की रणनीति पर निर्भर है। ईरान ने हिज्बुल्लाह जैसे संगठनों का समर्थन करके मध्य पूर्व में अपनी शक्ति का विस्तार किया है। ईरान की इस रणनीति के तहत इराक, सीरिया, लेबनान और यमन में इसके प्रभावी नेटवर्क बने हैं, जो इसे क्षेत्रीय शक्ति के रूप में मजबूती प्रदान करते हैं। ईरान की मिसाइल प्रौद्योगिकी भी तेजी से विकसित हो रही है, जिसने इजराइल को अपनी सुरक्षा पर अधिक ध्यान देने के लिए मजबूर किया है।

हिजबुल्लाह: संघर्ष का प्रमुख कारक

हिज्बुल्लाह, एक लेबनानी शिया संगठन है, जिसे ईरान का खुला समर्थन प्राप्त है। यह संगठन 1980 के दशक में इजराइल के खिलाफ प्रतिरोध के रूप में उभरा था और आज यह एक ताकतवर सैन्य संगठन बन चुका है। हिज्बुल्लाह का मुख्य लक्ष्य इजराइल का विरोध करना और उसके खिलाफ सशस्त्र संघर्ष जारी रखना है। हाल के वर्षों में हिज्बुल्लाह ने अपनी सैन्य क्षमताओं को और मजबूत किया है और यह एक गंभीर खतरा बन चुका है, खासकर इजराइल के उत्तरी सीमा क्षेत्रों में।

2024 में हिज्बुल्लाह और इजराइल के बीच तनाव फिर से बढ़ने लगा है, जहां सीमावर्ती क्षेत्रों में झड़पों और रॉकेट हमलों की घटनाएं सामने आई हैं। इजराइल ने हिज्बुल्लाह के ठिकानों पर हवाई हमले किए हैं, वहीं हिज्बुल्लाह ने भी इजराइल के अंदर रॉकेट हमले किए हैं। इस संघर्ष में हिज्बुल्लाह की भूमिका इसलिए महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि इसके पीछे ईरान की शक्ति और समर्थन मौजूद है।

क्या भविष्य में सीधा टकराव संभव है?

भले ही इजराइल और ईरान प्रत्यक्ष युद्ध में शामिल नहीं हुए हैं, लेकिन हिज्बुल्लाह के माध्यम से चल रहा यह छद्म युद्ध आने वाले समय में बड़े संघर्ष का रूप ले सकता है। हिज्बुल्लाह की सैन्य शक्ति और ईरान के बढ़ते प्रभाव ने इजराइल के लिए सुरक्षा चुनौतियां बढ़ा दी हैं। इजराइल ने हाल के वर्षों में ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर कई बार चिंता व्यक्त की है और ईरान के सैन्य ठिकानों पर सीरिया में हवाई हमले किए हैं।

अगर यह संघर्ष जारी रहता है और इजराइल तथा हिजबुल्लाह के बीच सीधे युद्ध की स्थिति उत्पन्न होती है, तो यह पूरी तरह से मध्य पूर्व के लिए विनाशकारी हो सकता है। साथ ही, इस संघर्ष में अन्य क्षेत्रीय शक्तियां जैसे सऊदी अरब, तुर्की और रूस भी शामिल हो सकती हैं, जो इसे और जटिल बना देगा।

इजराइल और ईरान के बीच चल रहा शक्ति संघर्ष सिर्फ इन दो देशों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे मध्य पूर्व की स्थिरता को प्रभावित कर रहा है। हिज्बुल्लाह जैसे संगठनों के माध्यम से हो रहा यह छद्म युद्ध भविष्य में और बड़े पैमाने पर फैल सकता है। दोनों देशों की ताकतें अलग-अलग पहलुओं में निहित हैं—इजराइल की तकनीकी और सैन्य श्रेष्ठता, जबकि ईरान की छद्म युद्ध और क्षेत्रीय नेटवर्क पर पकड़। दोनों के बीच बढ़ते तनाव के चलते यह देखना बाकी है कि भविष्य में यह संघर्ष किस दिशा में जाता है।

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