अमेरिकी दबाव को दरकिनार कर भारत-रूस की बड़ी डील, अब हिंदुस्तान में बनेगा SJ-100 यात्री विमान

India Russia deal
India Russia deal : रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे से पहले भारत और रूस के बीच नागरिक विमान निर्माण के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक समझौता हुआ है। इस समझौते के तहत दोनों देश मिलकर यात्री विमान SJ-100 का संयुक्त उत्पादन करेंगे, (India Russia deal)जो भारत के एयरोस्पेस सेक्टर में ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को नई ऊंचाई देगा।

SJ-100 जेट का भारत में होगा निर्माण

भारत की सरकारी एयरोनॉटिक्स कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने मंगलवार को रूस की यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉर्प (UAC) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के तहत भारत में नागरिक कम्यूटर विमान SJ-100 का निर्माण किया जाएगा। हालांकि, समझौते में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (Technology Transfer) या निवेश राशि का उल्लेख नहीं किया गया है।

अमेरिका की नाराज़गी के बीच भारत-रूस डील

यह करार ऐसे समय पर हुआ है जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का दिसंबर में भारत दौरा प्रस्तावित है। इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके अधिकारियों ने रूस से भारत की कच्चे तेल की खरीद पर नाराज़गी जताई है। अमेरिका ने मॉस्को के साथ भारत के बढ़ते संबंधों को लेकर आलोचना करते हुए भारतीय वस्तुओं पर 50% टैरिफ तक बढ़ा दिया है।

एचएएल ने बयान में कहा कि, “यह पहला उदाहरण होगा जब भारत में संपूर्ण यात्री विमान का उत्पादन किया जाएगा।” यह सहयोग दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास और तकनीकी साझेदारी का प्रतीक है।

‘मेक इन इंडिया’ और घरेलू कनेक्टिविटी को मिलेगा बूस्ट

यह समझौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ मिशन और स्थानीय विनिर्माण को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इससे भारत में छोटी दूरी की उड़ानों (Short-Haul Connectivity) के लिए विमानों की उपलब्धता बढ़ेगी।

भारत ने वर्ष 2047 तक देश में हवाई अड्डों की संख्या दोगुनी कर 350 करने की योजना बनाई है। इससे घरेलू विमानन उद्योग और कनेक्टिविटी दोनों को मजबूती मिलेगी।

एचएएल की चुनौतियां और भविष्य की संभावनाएं

फिलहाल, एचएएल ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि वह इस परियोजना में कितनी पूंजी लगाएगी या किन एयरलाइनों ने SJ-100 में रुचि दिखाई है। कंपनी पहले से ही भारतीय वायुसेना के लिए पर्याप्त संख्या में लड़ाकू विमान तैयार करने में चुनौतियों का सामना कर रही है, जिससे देश की सैन्य तैयारियों को लेकर चिंताएं बनी हुई हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि भारत-रूस का यह सहयोग नागरिक उड्डयन क्षेत्र में एक रणनीतिक बदलाव लाएगा और भारत को विमान निर्माण के वैश्विक मानचित्र पर स्थापित करेगा।

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