Hydrogen train India: भारत रेलवे अब पर्यावरण संरक्षण में एक नया ऐतिहासिक कदम उठाने जा रहा है। दीपावली के बाद देश को मिलेगी पहली हाइड्रोजन ट्रेन, जो हाइड्रोजन ईंधन से चलकर प्रदूषण मुक्त यात्रा सुनिश्चित करेगी।
पहली हाइड्रोजन ट्रेन का रूट और रफ्तार
सोनीपत, गोहाना और जींद के बीच लगभग 89 किलोमीटर लंबे रूट पर यह ट्रेन दौड़ेगी। इसकी अधिकतम रफ्तार 110 से 140 किलोमीटर प्रति घंटा होगी, जिससे तेज़ और समयबद्ध यात्रा का विकल्प मिलेगा।
निर्माण और तैयारी की स्थिति
इस ट्रेन के इंजन और बोगियां लखनऊ में तैयार की गई हैं और फिलहाल दिल्ली के शकूर बस्ती यार्ड में रखी गई हैं। जींद में हाइड्रोजन प्लांट में ईंधन भरने और तकनीकी परीक्षण का कार्य अंतिम चरण में है। रेलवे की अन्य शाखाएं परीक्षण करेंगी, जिसकी प्रक्रिया लगभग 10 दिन में पूरी होगी। योजना के अनुसार अक्टूबर के अंत तक ट्रेन पटरियों पर दौड़ने लगेगी।
प्रोजेक्ट खर्च और क्षमता
इस परियोजना पर कुल अनुमानित खर्च 120 करोड़ रुपये है। ट्रेन में 8 कोच हैं और यह एक बार में 2,638 यात्रियों को ले जाने में सक्षम है, जिससे यह कुशल और व्यावसायिक समाधान बनती है।
हाइड्रोजन की सप्लाई
हाइड्रोजन की सप्लाई के लिए जींद में 1 मेगावाट क्षमता का PEM (पॉलिमर इलेक्ट्रोलाइट मेम्ब्रेन) इलेक्ट्रोलाइजर लगाया गया है, जो रोजाना लगभग 430 किलोग्राम हाइड्रोजन का उत्पादन करेगा। इसके साथ ही 3000 किलोग्राम स्टोरेज, हाइड्रोजन कंप्रेसर और डिस्पेंसर जैसी उन्नत सुविधाएं स्थापित की गई हैं।
दुनियाभर में हाइड्रोजन ट्रेनें
- जर्मनी: 2018 में हाइड्रोजन ट्रेन चलाने वाला पहला देश, सबसे बड़ा नेटवर्क।
- फ्रांस: अलस्ट्रॉम कंपनी के माध्यम से निर्माण और संचालन।
- चीन: हाई-पावर शहरी हाइड्रोजन ट्रेनें विकसित।
- स्वीडन और जापान: परीक्षण और विकास के विभिन्न चरण।
भारत इस उपलब्धि के बाद दुनिया का पांचवां देश बन जाएगा।
हाइड्रोजन ट्रेन की तकनीक
हाइड्रोजन ट्रेनें फ्यूल सेल तकनीक का उपयोग करती हैं, जिसमें हाइड्रोजन और ऑक्सीजन की प्रतिक्रिया से बिजली उत्पन्न होती है। इससे ट्रेन को चलाने के लिए किसी बाहरी ईंधन या ग्रिड बिजली की आवश्यकता नहीं होती। यह परिवहन प्रणाली पूरी तरह हरित और टिकाऊ बनती है। रेलवे मंत्रालय की यह पहल भारतीय रेलवे को “नेट ज़ीरो एमिशन” की ओर ले जाने की रणनीति का हिस्सा है। चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में भी हाइड्रोजन संचालित कोच का परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया जा चुका है।