AIIMS Jodhpur: दिवाली के पावन दिन एम्स जोधपुर के इमरजेंसी वॉर्ड में हुई लापरवाही के चलते एक मरीज की मौत हो गई। अस्पताल प्रशासन ने घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं, पर परिजन दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। आखिरी जानकारी के अनुसार, एम्स जोधपुर में दो अलग-अलग उम्र के दोनों मरीजों का नाम मांगीलाल था। 50 वर्षीय मांगीलाल बिश्नोई को मधुमक्खी के काटने से (AIIMS Jodhpur)गंभीर चोटों के कारण भर्ती किया गया था। 10 अक्टूबर को उनकी हालत बिगड़ी और उन्हें 11 अक्टूबर को ब्लड ट्रांसफ्यूज़न की आवश्यकता पड़ी — लेकिन एनीमिया के इलाज के लिए भर्ती 80 वर्षीय अन्य मरीज का खून गलती से बिश्नोई को चढ़ा दिया गया। परिणामस्वरूप उनकी हालत बिगड़ी और दिवाली के दिन उनकी मृत्यु हो गई।
क्या हुआ — घटना का क्रम
- एमर्जेंसी वार्ड में दो मरीज एक ही नाम से भर्ती थे — मांगीलाल (80) व मांगीलाल बिश्नोई (50)।
- बिश्नोई की तबीयत 10 अक्टूबर को खराब हुई और 11 अक्टूबर को उन्हें ब्लड ट्रांसफ्यूज़न की जरूरत पड़ी।
- लापरवाही के कारण अस्पताल ने गलत मरीज को रक्त चढ़ा दिया — आधा से अधिक यूनिट तब तक ट्रांसफ्यूज़ हो चुका था जब तक गलती का पता चला।
- गलती का पता चलते ही डॉक्टरों ने रक्त चढ़ाना रोक दिया और संबंधित बैग को फेंक दिया गया।
- स्थिति बिगड़ने पर इलाज जारी रहा, पर दिवाली के दिन मरीज की मौत हो गई।
डॉक्टरी कार्रवाई और रिपोर्ट
जब वरिष्ठ चिकित्सक मुआयना करने पहुंचे तो ही गलत ट्रांसफ्यूज़न का पता चला। कथित तौर पर तत्काल आवश्यक उपचार शुरू किया गया, पर गंभीर प्रतिकूल प्रतिक्रिया और हालात बिगड़ने के कारण बचाव संभव नहीं हो पाया। एम्स प्रशासन ने घटना की आंतरिक जांच के आदेश दिए हैं और संबंधित स्टाफ की जिम्मेदारी तय करने की घोषणा की है।
परिजनों की प्रतिक्रिया और पुलिस कार्रवाई
मांगीलाल बिश्नोई के परिजन अस्पताल परिसर में धरना देकर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। सूचना पर बासनी थाना प्रभारी नितिन दवे मौके पर पहुंचे; समझाइश के बाद मृतक का पोस्टमार्टम कराया गया। पुलिस और अस्पताल दोनों मामले की तफ्तीश में जुड़े हुए हैं।
एम्स का आधिकारिक बयान
एम्स जोधपुर की ओर से कहा गया है कि यह एक गंभीर लापरवाही का मामला है और तुरंत जांच कर संबंधित कर्मचारियों की ज़िम्मेदारी तय की जाएगी। जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी — यह कहना अस्पताल प्रवक्ता का है। रक्त चढ़ाने में हुई ऐसी त्रुटियाँ अस्पतालों के लिए गंभीर चेतावनी हैं — मरीज की पहचान, ब्लड-सैम्पल लेबलिंग और ट्रांसफ्यूज़न प्रोटोकॉल का सख्त पालन आवश्यक है। विशेषज्ञों का कहना है कि दो नाम वाले मरीजों के मामलों में अतिरिक्त सावधानी अनिवार्य है ताकि भविष्य में ऐसी जानलेवा चूक न हो।