भाजपा की रणनीति
भाजपा ने 17 अक्टूबर को मोरपाल सुमन को अपना प्रत्याशी घोषित किया था। पार्टी का मानना है कि सुमन की जमीनी पकड़, सरल स्वभाव और माली समुदाय में उनकी स्वीकार्यता उन्हें लाभ देगी। हालांकि कुछ मतदाताओं की इच्छा स्थानीय एवं सवर्ण समाज के प्रत्याशी की थी, पर भाजपा स्थानीय उम्मीदवार और ओबीसी पृष्ठभूमि पर भरोसा कर रही है।
जीत के भरोसे के आँसू
प्रत्याशी आवेदन पत्र मिलने के बाद मोरपाल सुमन भावुक हो उठे — सांसद कार्यालय से संघ कार्यालय तक के क्षण में वे जिला उपाध्यक्ष राकेश जैन को देखकर गले लग गए और खुशी के आँसू बहा दिए। सुमन ने इसे अपने लिए “खुशी के आँसू” करार दिया।
मोरपाल सुमन का राजनीतिक सफर
मोरपाल सुमन का लोक राजनीति में लंबा अनुभव है — वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े रहे हैं और अंता विधानसभा क्षेत्र के प्रभारी रहे हैं। उनके मुख्य राजनीतिक माइलस्टोन्स:
- जनवरी 2000 — सरपंच चुने गए।
- 23 दिसंबर 2021 से — प्रधान, पंचायत समिति बारां।
- वर्ष 1992 से संगठन में विभिन्न पद — युवा मोर्चा, ओबीसी मोर्चा व जिला महामंत्री के रूप में भूमिका।
- 2014 से लगातार अंता क्षेत्र के प्रभारी।
पार्टी संगठन और स्थानीय कार्यकर्ता उनके मजबूत दावेदारी के मुख्य कारण बताए जा रहे हैं।
मुक़ाबला कैसा रहेगा?
कांग्रेस के कद्दावर नेता प्रमोद जैन भाया ने 15 अक्टूबर को नामांकन रैली के दौरान संगठनात्मक ताकत दिखाते हुए बड़े नेता इकट्ठे किए थे। इसलिए यह सीट अब दोनों प्रमुख दलों के बीच सीधी और कांटे की टक्कर वाली मानी जा रही है — जहां स्थानीय समीकरण, जातिगत समर्थन और संगठनात्मक ताकत निर्णायक भूमिका निभा सकती है।