भारत के निर्यातकों ने ट्रम्प शुल्क से निपटने के लिए वित्तीय सहायता और किफायती ऋण की मांग की!

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Trump Tariff Impact:

Trump Tariff Impact: भारतीय निर्यातकों ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित 25 प्रतिशत उच्च शुल्क से निपटने के लिए भारत सरकार से वित्तीय सहायता और किफायती ऋण की मांग की है। खाद्य, समुद्री और कपड़ा जैसे विभिन्न क्षेत्रों के उद्योग अधिकारियों ने मुंबई में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के साथ बैठक में यह प्रस्ताव रखा। निर्यातकों ने उच्च शुल्क के कारण अमेरिकी बाजार में आ रही ( Trump Tariff Impact)समस्याओं के बारे में अपनी चिंता जताई। मंत्री पीयूष गोयल ने निर्यातक समुदाय से सुझाव लिखित रूप में भेजने को कहा और सरकार की ओर से किफायती दरों पर ऋण और राजकोषीय प्रोत्साहन की संभावना पर विचार करने का आश्वासन दिया।

निर्यातकों ने ब्याज दरों के अंतर को लेकर भी चिंता जताई

निर्यातकों ने यह भी बताया कि भारत में ब्याज दरें आठ से 12 प्रतिशत या उससे भी अधिक हैं, जबकि प्रतिस्पर्धी देशों में यह दरें काफी कम हैं। उदाहरण के तौर पर, चीन में केंद्रीय बैंक की दर 3.1 प्रतिशत, मलेशिया में तीन प्रतिशत, थाईलैंड में दो प्रतिशत और वियतनाम में 4.5 प्रतिशत है। इस अंतर के कारण भारत के निर्यातकों को उच्च लागत का सामना करना पड़ रहा है।

अमेरिकी खरीदारों द्वारा ऑर्डर रद्द किए जाने से निर्यात पर असर

निर्यातकों ने बताया कि परिधान और झींगा जैसे क्षेत्रों की स्थिति चिंताजनक हो गई है। अमेरिकी खरीदारों ने ऑर्डर रद्द करना या उन्हें रोकना शुरू कर दिया है। इससे आने वाले महीनों में भारत के अमेरिकी निर्यात में गिरावट हो सकती है, जिसका असर भारतीय श्रमिकों और नौकरियों पर पड़ेगा।

ट्रंप टैरिफ से प्रभावित होने वाले प्रमुख क्षेत्र

अमेरिका द्वारा लगाए गए इस उच्च कर का असर भारत के कई प्रमुख निर्यात क्षेत्रों पर पड़ेगा। इन क्षेत्रों में कपड़ा/वस्त्र (10.3 अरब डॉलर), रत्न एवं आभूषण (12 अरब डॉलर), झींगा (2.24 अरब डॉलर), चमड़ा एवं जूते-चप्पल (1.18 अरब डॉलर), रसायन (2.34 अरब डॉलर), और विद्युत एवं यांत्रिक मशीनरी (लगभग नौ अरब डॉलर) शामिल हैं। खासकर, भारत के चमड़ा और परिधान निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत से अधिक है, जिससे इन क्षेत्रों में बड़ा नुकसान हो सकता है।

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