AK-203 की अगली खेप तैयार, 700 राउंड प्रति मिनट फायर करने वाली राइफल से कांपेगा आतंक!

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AK-203 Rifle

AK-203 Rifle: भारतीय सेना को स्वतंत्रता दिवस से पहले AK-203 असॉल्ट राइफलों की अगली खेप मिलने जा रही है। इंडो-रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (IRRPL) अगले दो से तीन हफ्तों में लगभग 7,000 राइफलों की डिलीवरी करने वाली है। (AK-203 Rifle)खास बात यह है कि ये राइफलें ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन के तहत उत्तर प्रदेश के अमेठी में बनाई जा रही हैं।

दिसंबर से शुरू होगा पूर्ण स्वदेशी उत्पादन

अधिकारियों के अनुसार, समय पर आपूर्ति भारत के रक्षा उत्पादन क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि है। अमेठी स्थित IRRPL संयंत्र में AK-203 राइफलों का निर्माण किया जा रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिसंबर 2025 से इस संयंत्र में पूरी तरह से स्वदेशी राइफल का निर्माण शुरू होने की संभावना है।

भारतीय सेना को मिलेगा 6 लाख से ज्यादा राइफलों का ऑर्डर

रक्षा सौदे के तहत आने वाले वर्षों में भारतीय सेना को 6 लाख से अधिक AK-203 राइफलें दी जाएंगी। यह भारत और रूस के बीच एक संयुक्त उद्यम है। IRRPL की योजना है कि वह दिसंबर 2032 की समयसीमा से 22 महीने पहले ही पूरा ऑर्डर डिलीवर कर दे।

IRRPL का बयान: शेर नाम से जानी जाएगी स्वदेशी राइफल

IRRPL अधिकारियों के अनुसार, राइफल का उत्पादन पूरी तरह पटरी पर है और 31 दिसंबर से इसके पूर्ण स्वदेशी संस्करण का निर्माण शुरू हो जाएगा। इसके बाद इस राइफल को ‘शेर’ नाम से जाना जाएगा।

AK-203 राइफल की खासियतें

  • AK-203, प्रसिद्ध कलाश्निकोव राइफल का आधुनिक संस्करण है।
  • इसमें बेहतरीन सटीकता, उच्च एर्गोनॉमिक्स और मजबूत अनुकूलन क्षमता है।
  • यह ऊंचाई वाले इलाकों और आतंकवाद-रोधी अभियानों के लिए उपयुक्त है।
  • इसकी फायरिंग रेंज 800 मीटर तक है।
  • AK-203 एक मिनट में 700 राउंड फायर कर सकती है।

भारत-रूस रक्षा सहयोग की मिसाल

जुलाई 2021 में भारत ने रूस के साथ 5,000 करोड़ रुपये का समझौता किया था, जिसमें AK-203 राइफल के लाइसेंस प्राप्त निर्माण और तकनीक का पूरा ट्रांसफर शामिल है। यह समझौता ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ को मजबूती देने वाला कदम है।

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