PHED Chief Engineer Mahesh Jangid: राजस्थान के जलदाय विभाग के चीफ इंजीनियर महेश जांगिड़ (PHED Chief Engineer Mahesh Jangid) को भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के चलते राज्य सरकार ने निलंबित कर दिया है। कार्मिक विभाग ने इसके आदेश जारी कर दिए हैं। यह मामला एक साल पुराना है, जब कोटा में एडिशनल चीफ इंजीनियर (ACE) रहते हुए महेश जांगिड़ पर 8 लाख रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगा था। उस समय कोटा की एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) टीम ने जांगिड़ की कार से जयपुर जाते समय यह राशि बरामद की थी। अब, सरकार द्वारा यह कदम उठाने के बाद उनके खिलाफ विधिवत अभियोग चलाया जाएगा।
मामले की पृष्ठभूमि: कोटा रिश्वत कांड
एक साल पहले, जब महेश जांगिड़ कोटा में एडिशनल चीफ इंजीनियर के पद पर तैनात थे, तब ACB को सूचना मिली थी कि वे कमीशन की राशि लेकर जयपुर जा रहे हैं। इस सूचना के आधार पर ACB ने कोटा-जयपुर हाइवे पर नाकाबंदी की और महेश जांगिड़ की कार की तलाशी ली। तलाशी के दौरान उनकी कार से 8 लाख रुपये नगद बरामद किए गए, जिनके बारे में जांगिड़ कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। आरोप लगाया गया कि यह रकम जलदाय विभाग के ठेकों में कमीशन के रूप में ली गई थी। हालांकि, इस कार्रवाई के बावजूद तत्कालीन गहलोत सरकार के दौरान जांगिड़ के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया था।
प्रमोशन के बाद बढ़ी नाराजगी
पिछले दिनों, महेश जांगिड़ को प्रमोशन देकर चीफ इंजीनियर बनाया गया था, जिससे प्रशासनिक और राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई थी। भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के बावजूद उन्हें इस महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त किए जाने से सरकार की छवि पर सवाल खड़े हो रहे थे। मीडिया में भी इसे लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं आईं, और जनता के बीच सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाए गए। आरोप था कि भ्रष्टाचार के आरोपी को सजा देने की बजाय उसे पुरस्कृत किया गया है।
सरकार की सख्त कार्रवाई
अब, सरकार ने इस पूरे विवाद पर संज्ञान लेते हुए महेश जांगिड़ को सस्पेंड कर दिया है। उनकी निलंबन के आदेश से यह साफ है कि राज्य सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है। महेश जांगिड़ के खिलाफ अब भ्रष्टाचार के मामले में विधिवत अभियोग चलाया जाएगा। यह न केवल जांगिड़ के खिलाफ, बल्कि राज्य के अन्य सरकारी अधिकारियों के लिए भी एक कड़ा संदेश है कि भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
अगले कदम: क्या होगा आगे?
महेश जांगिड़ का सस्पेंशन सिर्फ शुरुआत है। अब उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है, जिसमें अभियोग चलाया जाएगा। ऐसे मामलों में ACB की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होगी, जो पहले ही जांच में शामिल रही है। इस पूरे मामले पर निगाहें टिकी रहेंगी कि न्यायिक प्रक्रिया किस दिशा में जाती है और महेश जांगिड़ को दोषी पाए जाने पर क्या सजा दी जाती है।
सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम से राज्य में एक बार फिर भ्रष्टाचार के मामलों पर सख्त रुख अपनाने का संदेश गया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में इस तरह के अन्य मामलों पर सरकार किस प्रकार की प्रतिक्रिया देती है।