Donald Trump: वॉशिंगटन/इस्लामाबाद। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक चौंकाने वाला दावा किया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका और पाकिस्तान के बीच एक समझौता हुआ है, जिसके तहत दोनों देश मिलकर पाकिस्तान के तेल भंडार का विकास करेंगे। ( Donald Trump)इतना ही नहीं, ट्रंप ने यह भी कहा कि एक दिन शायद पाकिस्तान भारत को तेल बेचे। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है—पाकिस्तान के पास आखिर तेल है कहां?
2019 में भी हुआ था ऐसा ही दावा
यह दावा नया नहीं है। मार्च 2019 में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान ने दावा किया था कि कराची के तट के पास समुद्र में एशिया का सबसे बड़ा तेल और गैस भंडार मिलने वाला है। मीडिया ने इसे बड़े स्तर पर प्रचारित किया। लेकिन कुछ ही घंटों में पाकिस्तान की पेट्रोलियम डिवीजन ने इसे खारिज कर दिया।
खुदाई का जिम्मा अमेरिकी कंपनी ExxonMobil, ENI, Pakistan Petroleum Limited और OGDCL को दिया गया था। 5500 मीटर से अधिक खुदाई के बाद भी कुछ नहीं मिला और अंततः खुदाई बंद कर दी गई। अब ट्रंप उसी पुराने दावे को नया जामा पहनाकर एक ‘तेल सौदा’ बना रहे हैं।
पाकिस्तान के पास कितना तेल है?
2016 के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पाकिस्तान के पास प्रमाणित तेल भंडार 35.35 करोड़ बैरल है। यह दुनिया के कुल तेल भंडार का मात्र 0.021% हिस्सा है। वैश्विक रैंकिंग में पाकिस्तान का स्थान 52वां है।
अगर पाकिस्तान में तेल का आयात पूरी तरह रुक जाए, तो मौजूदा खपत के हिसाब से यह भंडार 2 साल भी नहीं टिकेगा। गौर करने वाली बात यह है कि पाकिस्तान का ज्यादातर तेल बलूचिस्तान में स्थित है—एक ऐसा क्षेत्र जो वर्षों से विद्रोह और अस्थिरता का केंद्र बना हुआ है।
भारत के पास कितना तेल है?
वहीं, भारत के पास लगभग 4.9 अरब बैरल तेल का भंडार है, जो दुनिया के कुल भंडार का 0.29% है। इस लिहाज से भारत दुनिया के शीर्ष 25 तेल-धारी देशों में शामिल है।
तेल के दाम और जनता की नाराजगी
जुलाई 2024 में पाकिस्तान में पेट्रोल की कीमत 5.36 रुपये बढ़कर 272.15 रुपये प्रति लीटर हो गई, जबकि उसी समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम नीचे जा रहे थे। ऐसे में यह सवाल और तीखा हो जाता है—अगर पाकिस्तान के पास इतना तेल है, तो जनता को महंगे दाम क्यों चुकाने पड़ रहे हैं?
तेल के बहाने राजनीति और नोबेल का सपना
डोनाल्ड ट्रंप को नॉबेल शांति पुरस्कार दिलाने के लिए पाकिस्तान पहले ही लॉबिंग कर चुका है। अब शायद उसके बदले ट्रंप ने पाकिस्तान को ‘तेल और तरक्की’ का सपना दिखा दिया है। लेकिन हकीकत यह है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था अभी भी भीख के कटोरे पर टिकी है।
अब क्रिप्टो करेंसी और तेल की कल्पनाओं के सहारे पाकिस्तान न सिर्फ ट्रंप बल्कि उनके पूरे परिवार को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है। सवाल यही है—क्या दुनिया ऐसे ख्वाबों पर भरोसा करेगी?