US airstrike: ईरान और इजरायल के बीच बढ़ता तनाव अब जंग का रूप लेता नजर आ रहा है। शनिवार को अमेरिका ने पहली बार ईरान पर सीधा हवाई हमला किया और उसके तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस हमले (US airstrike)की जानकारी सोशल मीडिया पर साझा करते हुए इसे “बेहद सफल” करार दिया। इस हमले से वेस्ट एशिया में हालात और भी ज्यादा गंभीर हो गए हैं।
किन परमाणु ठिकानों को बनाया गया निशाना?
डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार रात 7:50 बजे (ET) एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “हमने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों – फोर्डो, नतांज़ और इस्फहान – पर सफलतापूर्वक बमबारी की है। सभी विमान ईरान की एयरस्पेस से बाहर आ चुके हैं और सुरक्षित लौट रहे हैं। फोर्डो पर फुल पेलोड बम गिराए गए।”
उन्होंने आगे लिखा, “हमारे महान अमेरिकी वॉरियर्स को बधाई। दुनिया की कोई और फौज यह काम नहीं कर सकती थी। अब वक्त है शांति का। उम्मीद है सभी देश इस संदेश को गंभीरता से लेंगे।”
व्हाइट हाउस से ट्रंप का संबोधन
ट्रंप ने घोषणा की कि वह रात 10 बजे (ET) व्हाइट हाउस से देश को संबोधित करेंगे। उन्होंने लिखा, “यह संबोधन ईरान में हमारी बेहद सफल सैन्य कार्रवाई को लेकर होगा। यह अमेरिका, इजरायल और पूरी दुनिया के लिए ऐतिहासिक क्षण है। अब ईरान को यह जंग खत्म करने के लिए राजी होना होगा। धन्यवाद!”
फोर्डो प्लांट पर क्यों था खास फोकस?
ईरान का फोर्डो परमाणु संयंत्र पहाड़ों के भीतर स्थित है और इसे केवल अमेरिका के पास मौजूद GBU-57 ‘बंकर बस्टर’ बम से ही नुकसान पहुंचाया जा सकता है। यह प्लांट अत्यंत सुरक्षित और आधुनिक माना जाता है, जहां यूरेनियम समृद्ध करने की उन्नत तकनीक मौजूद है।
B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स से हुआ हमला
अमेरिका ने इस हमले में B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स का इस्तेमाल किया, जो 30,000 पाउंड तक वजनी बम ले जाने में सक्षम हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला करने के लिए अमेरिका ने लगभग 13,000 किलोग्राम वजनी बंकर बस्टर बमों का इस्तेमाल किया।
ट्रंप की चेतावनी: “अब सब्र टूट चुका है”
हमले से पहले मंगलवार को ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर पोस्ट करते हुए ईरान से “बिना शर्त आत्मसमर्पण” की मांग की थी। उन्होंने लिखा था, “UNCONDITIONAL SURRENDER!”
बुधवार सुबह पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा, “अब मेरा सब्र टूट चुका है। अब और नहीं।” ट्रंप ने यह भी कहा, “अब हम वहां जाकर सारे न्यूक्लियर ठिकाने उड़ा देंगे, जो भी वहां फैले हुए हैं।”
इजरायल ने भी की थी बड़ी कार्रवाई
अमेरिकी कार्रवाई से पहले इजरायल ने भी ईरान के कई न्यूक्लियर साइट्स पर हमला किया था। इस हमले में ईरान के 9 न्यूक्लियर साइंटिस्ट और कई टॉप आर्मी कमांडर मारे गए। इजरायल को इस ऑपरेशन में अमेरिका से इंटेलिजेंस और हथियारों की मदद मिली।
अमेरिका ने कैसे रोके ईरान के जवाबी हमले?
ईरान द्वारा इजरायल पर किए गए जवाबी मिसाइल हमलों को अमेरिका ने अपने इंटरसेप्टर और नौसैनिक रक्षा सिस्टम के जरिए नाकाम कर दिया। अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, इस पूरी सैन्य कार्रवाई में अमेरिका और इजरायल की गहरी रणनीतिक साझेदारी देखने को मिली।