Kumbhalgarh Conservation Project: राजस्थान को वन्यजीव संरक्षण के नए अध्याय में एक महत्वपूर्ण सौगात मिलने जा रही है। भजनलाल सरकार ने कुंभलगढ़ में(Kumbhalgarh Conservation Project) टाइगर रिजर्व बनाने की कवायद शुरू कर दी है, जो न केवल बाघों के लिए सुरक्षित आश्रय होगा, बल्कि क्षेत्र की जैव विविधता को भी संरक्षित करेगा।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण द्वारा इस परियोजना को हरी झंडी मिलने के बाद, वन विभाग ने कुंभलगढ़ के आसपास के पांच जिलों को टाइगर रिजर्व में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह कदम स्थानीय पर्यावरण और पर्यटन को सहेजने के साथ-साथ रोजगार के नए अवसर प्रदान करेगा। राजस्थान को “टाइगरस्थान” बनाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है।
कुंभलगढ़ टाइगर रिजर्व: चार बाघों से होगी शुरुआत
राजस्थान में जल्द ही छठा टाइगर रिजर्व बनने जा रहा है, जिसमें कुंभलगढ़ को चुना गया है। प्राधिकरण की स्वीकृति मिलने के बाद, वन विभाग ने सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है, जिसमें शुरुआत में चार बाघ लाने की योजना है। इन बाघों को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की गाइडलाइनों के अनुसार, दो साल तक निगरानी में रखा जाएगा ताकि वे स्थानीय वातावरण के साथ सामंजस्य स्थापित कर सकें। इस अवधि के बाद, प्रोजेक्ट की प्रगति का मूल्यांकन किया जाएगा और अगले चरणों पर विचार किया जाएगा। इसके साथ ही टाइगर रिजर्व वाले क्षेत्र में घास के मैदानों का कार्य भी तेजी से चल रहा है।
पांच जिलों के क्षेत्रों से बनेगा कुंभलगढ़ टाइगर रिजर्व
कुंभलगढ़ टाइगर रिजर्व के लिए पांच जिलों के विभिन्न हिस्सों को एकीकृत किया गया है। इस रिजर्व में उदयपुर, राजसमंद, ब्यावर, पाली और सिरोही के कुछ इलाकों को शामिल किया गया है। कुंभलगढ़ के समीप सादड़ी, देसूरी और रणकपुर जैसे स्थानों में घने जंगल हैं, जो बाघों के लिए आदर्श पर्यावास प्रदान करते हैं। इस कारण, कुंभलगढ़ को टाइगर रिजर्व के रूप में विकसित करने के लिए यह क्षेत्र अत्यंत उपयुक्त माना गया है।