क्यों बताया जा रहा है यह कदम महत्वपूर्ण?
मंत्रिमंडल ने कहा कि यह पहल केंद्र के जन विश्वास अधिनियम, 2023 के अनुरूप है और इसका उद्देश्य अदालतों पर मुकदमों का बोझ कम करना, छोटे उद्योगों को ‘इंस्पेक्टर राज’ से बचाना तथा आम नागरिकों को अनजाने में हुई प्रक्रियागत त्रुटियों के कारण आपराधिक दंड से मुक्ति दिलाना है। संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने बैठक के बाद बताया कि यह कदम राज्य में Ease of Doing Business और Ease of Living दोनों को बेहतर करेगा।
कौन-कौन से कानूनों में बदलाव होगा?
अध्यादेश के लागू होने पर कुल 11 राज्य कानूनों में मामूली और तकनीकी उल्लंघनों के लिये जेल की सजा समाप्त कर दी जाएगी और उनकी जगह केवल आर्थिक दंड का प्रावधान होगा। सरकार ने कुछ प्रमुख कानून और उनमें किए गए संशोधनों के उदाहरण बताए हैं —
1. वन अधिनियम (Forest Act)
पूर्व में धारा 26(1)(ए) के तहत वन भूमि में अनजाने में मवेशी चराने पर छह माह तक कारावास या ₹500 तक जुर्माना हो सकता था। अब जेल की सजा हटाकर केवल जुर्माना और वन को हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति का प्रावधान रहेगा। इससे आदिवासी व ग्रामीण समुदायों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।
2. औद्योगिक इकाई अधिनियम (Industrial Units Act)
छोटे उद्योगों पर बहीखाते या दस्तावेज निरीक्षण के लिए न प्रस्तुत करने जैसे तकनीकी उल्लंघनों के लिए पहले आपराधिक प्रावधान थे। अब ऐसे मामूली प्रोसीजरल उल्लंघनों के लिए कारावास का प्रावधान हटा कर केवल आर्थिक दंड रहेगा — MSMEs को कानूनी जटिलताओं से निजात।
3. जयपुर जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड अधिनियम (Jaipur Water Supply and Sewerage Board Act)
पानी की बर्बादी, बिना अनुमति कनेक्शन जोड़ना या सीवरेज में रुकावट जैसे मामूली उल्लंघनों पर पहले जेल की सजा थी; अब इन्हें दंडात्मक जुर्माने में बदला जाएगा ताकि नागरिकों पर कटु आपराधिक कार्रवाई से बचाव हो।
नोट: उपरोक्त तीन उदाहरण दिए गए हैं; कुल 11 कानूनों में ऐसे ही तकनीकी और मामूली उल्लंघनों के लिए जेल प्रावधान हटाए जा रहे हैं। गंभीर अपराधों पर मौजूदा सजा व प्रक्रियाएँ अपरिवर्तित रहेंगी।
सरकार का दावा है कि यह अध्यादेश छोटे उद्यमियों, किसान-आश्रित तथा वन-निवासी समुदायों को अनावश्यक मुकदमों और दंडात्मक परेशानी से मुक्त करेगा। सुविधाजनक अनुपालन और त्वरित निपटान से व्यापारिक गतिविधियों को गति मिलेगी, जिससे निवेश आकर्षित करने में भी मदद मिलेगी। इसके अतिरिक्त, अदालतों पर अनावश्यक मुकदमों का बोझ कम होने से न्यायिक संसाधनों का बेहतर उपयोग संभव होगा।
कठोर विराम: किन मामलों पर लागू नहीं होगा?
सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह संशोधन केवल ‘मामूली’ और ‘तकनीकी’ उल्लंघनों पर लागू होगा। भ्रष्टाचार, सुरक्षा, पर्यावरणीय गंभीर उल्लंघन, हिंसा, धोखाधड़ी और अन्य गंभीर अपराधों पर मौजूदा आपराधिक प्रावधान लागू रहेंगे और उन मामलों में जेल की सजा बनी रहेगी।
मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद अध्यादेश जल्द ही लागू कर दिया जाएगा। इसके पश्चात विधायी संसाधन इसे विधानसभा के समक्ष पेश कर सकते हैं ताकि आवश्यक संशोधन स्थायी कानून के रूप में लागू किए जा सकें।
