MP Jairam Ramesh: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा MP Jairam Ramesh ने BJP government पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि महाराष्ट्र और राजस्थान में Tenders for electricity purchase प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए तैयार किए गए हैं। रमेश का कहना है कि यह न केवल corruptionका एक उदाहरण है, बल्कि इससे आम लोगों और करदाताओं का पैसा भी बर्बाद होगा।
निविदाओं का संदिग्ध डिज़ाइन
रमेश ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा, “BJP-ruled states में नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री के करीबी लोगों को अमीर बनाने के लिए लिए जाने वाले फैसलों का टेंपो तेज़ हो रहा है।” उन्होंने आरोप लगाया कि इन निविदाओं को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि बोली लगाने वालों की संख्या कम हो जाए, जिससे केवल बड़े प्लेयर मोदानी को फायदा पहुंचे। उनके अनुसार, यह रणनीति करदाताओं का धन चुराने का एक और तरीका है।
छोटी कंपनियों की संभावनाएं खतरे में
राज्य सरकारों द्वारा जारी किए गए ये टेंडर थर्मल और सौर ऊर्जा स्रोतों की संयुक्त खरीद के लिए हैं। रमेश का कहना है कि यदि इस प्रक्रिया को दो टेंडरों में विभाजित नहीं किया गया, तो छोटी कंपनियां, विशेष रूप से नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र की, प्रतिस्पर्धा में टिक नहीं पाएंगी। उन्होंने कहा कि इससे उद्योग में एकाधिकार बढ़ेगा, जो छोटे खिलाड़ियों के लिए खतरा बन सकता है।
मोदानी का बढ़ता दबदबा
रमेश ने स्पष्ट किया कि ये टेंडर मोदानी के योजनाबद्ध निवेश के अनुकूल हैं। राजस्थान में जारी टेंडर में solar energy की खरीद को स्थानीय स्तर से करने की शर्त है, और मोदानी पहले से ही राज्य में एक सोलर प्लांट लगाने की योजना बना रहा है। इसी तरह, महाराष्ट्र का टेंडर भी मोदानी के अन्य राज्यों में निवेश से जुड़ा हुआ प्रतीत होता है। इससे यह साफ हो जाता है कि कैसे सरकारी नीतियों का लाभ कुछ विशेष लोगों को दिया जा रहा है।
क्या होगा भविष्य में?
रमेश ने चेतावनी दी कि अगर यही स्थिति रही, तो इसका परिणाम विनाशकारी हो सकता है। उन्होंने कहा कि इससे एक प्रमुख उद्योग में प्रतिस्पर्धा को सीमित किया जाएगा और लंबे समय में कीमतों में कमी की संभावना भी कम हो जाएगी। रमेश ने अंत में कहा, “हमेशा की तरह, प्रधानमंत्री के मित्र उपभोक्ताओं और करदाताओं की कीमत पर लाभ कमाएंगे।”
सार्वजनिक प्रतिक्रिया की आवश्यकता
इन आरोपों के बाद, राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है। कई लोग इस मुद्दे पर चिंता जता रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि सरकार इस मामले की स्वतंत्र जांच कराए। अगर जयराम रमेश के आरोप सही साबित होते हैं, तो यह न केवल भाजपा की छवि को धूमिल करेगा, बल्कि देश के ऊर्जा क्षेत्र में भी व्यापक प्रभाव डाल सकता है।
रमेश के बयान ने एक बार फिर से यह सवाल उठाया है कि क्या हमारे राजनीतिक नेता वास्तव में जनता की भलाई के लिए काम कर रहे हैं, या वे अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए जनता के धन का दुरुपयोग कर रहे हैं? अब देखने वाली बात यह होगी कि इस मामले में आगे क्या कार्रवाई की जाती है और जनता इसका कैसे जवाब देती है।