Diwali 2024:धन की देवी माता लक्ष्मी की आराधना का पर्व दीपोत्सव आज से शुरू हो गया है। इस खास मौके पर लोग खरीदारी के लिए बाजारों में उमड़ पड़े हैं, जिससे उत्साह और उल्लास का माहौल बना हुआ है। धनतेरस पर शुभ मुहूर्त में धन्वन्तरी और धनकुबेर की पूजा की जा रही है।(Diwali 2024) इस बार का दीपोत्सव विशेष है, क्योंकि इसे पांच दिन की जगह छह दिन मनाने का निर्णय लिया गया है। दीपावली 31 अक्टूबर और 1 नवंबर को मनाई जाएगी, जो इस पर्व की महत्ता को और बढ़ा देती है।
आइए, जानते हैं इस विशेष पर्व का महत्व और इसे मनाने का सही तरीका, ताकि हम सब मिलकर इस दीपोत्सव को सुख और समृद्धि के साथ मनाएं।
धनतेरस पर सिद्ध योग और खरीदारी का महत्व
धनतेरस पर शाम 7 बजे तक सिद्ध योग रहेगा। दीपोत्सव की शुरुआत धनतेरस से होती है, जिसमें आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरी का पूजन होता है। मान्यता है कि भगवान धन्वंतरी समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए आज के दिन उनकी पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन सोना-चांदी और संपत्ति खरीदना भी शुभ माना जाता है। इस बार धनतेरस पर सिद्ध योग में संपत्ति, सोना-चांदी, बर्तन आदि खरीदना शुभ रहेगा।
यमराज की पूजा और रुप चतुर्दशी का महत्व
कल 31 अक्टूबर को रुप चतुर्दशी मनाई जाएगी, जिसे नरक चतुर्दशी भी कहते हैं। इस दिन यमराज की पूजा का विधान है। चतुर्दशी तिथि 31 अक्टूबर को दोपहर 3.53 तक है। इस मुहूर्त में घर के कोनों में दीपक लगाने से यमराज प्रसन्न होते हैं। महिलाएं इस दिन सोलह श्रृंगार कर दीपोत्सव के लिए तैयार होती हैं।
दीपावली का दो दिवसीय उत्सव
इस बार दीपावली 31 अक्टूबर और 1 नवंबर को मनाई जाएगी। विभिन्न मतानुसार लोग दोनों ही दिन शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी की आराधना कर सकेंगे। दीपावली पर सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में मां लक्ष्मी की पूजा का विधान है। 31 अक्टूबर को शाम 5.36 बजे से रात 8.11 बजे तक और 1 नवंबर को भी शाम 6.17 बजे तक लक्ष्मी पूजा का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त रहेगा।
गोवर्धन पूजा और भाई दूज का त्योहार
2 नवंबर को गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन गोवर्धन महाराज की विशेष पूजा अर्चना की जाएगी। मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली पर उठाकर इंद्र का अभिमान दूर किया था। इस दिन कढ़ी-चावल और बाजरे सहित अन्य खाद्यान्नों से बने अन्नकूट का प्रसाद भी लगाया जाएगा। वहीं, 3 नवंबर को भाई दूज मनाया जाएगा, जब बहनें भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु और समृद्धि की कामना करेंगी।