राजस्थान विधानसभा सत्र से पहले धीरेंद्र शास्त्री-भजनलाल मुलाकात ने मंत्रीमंडल फेरबदल पर सियासी सस्पेंस बढ़ाया

rajasthan cabinet reshuffle

rajasthan cabinet reshuffle: राजस्थान की राजनीति में गर्माहट बढ़ गई है। राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े द्वारा 1 सितंबर से होने वाले 16वें विधानसभा सत्र की अधिसूचना जारी कर दी गई है, जबकि सत्र से पहले संभावित मंत्रीमंडल फेरबदल की चर्चाएँ जोरों पर हैं। इसी बीच बागेश्वर देवस्थान के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से हालिया मुलाकात ने सियासी माहौल और गर्म कर दिया है।(rajasthan cabinet reshuffle) 16वां विधानसभा सत्र चौथे चरण के रूप में 1 सितंबर से आरंभ होने जा रहा है। सत्र से पहले राजनीतिक दल अपनी रणनीति अंतिम रूप दे रहे हैं और कैबिनेट पुनर्गठन की अटकलें तेज हैं। सत्तापक्ष व विपक्ष दोनों ही संभावित फेरबदल और उनसे जुड़े निहितार्थों पर नजर गढ़ाए हुए हैं।

धीरेंद्र शास्त्री से मुलाकात—शिष्टाचार या सियासी संकेत?

बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने जयपुर स्थित मुख्यमंत्री आवास पर भजनलाल शर्मा से शिष्टाचार भेंट की। आधिकारिक सूत्रों ने इसे औपचारिक मुलाकात बताया है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इस मिलन की व्याख्याएँ और संभावित निहितार्थ चर्चा का विषय बने हुए हैं। शास्त्री अपने भक्तों की समस्याओं की ‘पर्ची’ निकालने के कारण चर्चा में रहते हैं—इसी वजह से मुलाकात को कई लोग सियासी संकेत के रूप में देख रहे हैं।

पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया, खासकर व्हाट्सएप पर मंत्रीमंडल विस्तार से जुड़ी कई सूचनाएँ वायरल हुई हैं जिनमें संभावित नामों का जिक्र था। इन वायरल कयासों ने राजनीतिक हलकों में हलचल और बढ़ा दी है। सीएम कार्यालय ने अभी तक किसी आधिकारिक सूची या पुष्टि से परहेज़ बरती है।

कांग्रेस की तीखी प्रतिक्रिया

कांग्रेस ने इस मुलाकात पर हमला तेज कर दिया है और भजनलाल सरकार पर पुराने आरोप दुहरा दिए हैं। विपक्ष लंबे समय से सरकार को ‘पर्ची सरकार’ कहकर आलोचना करता रहा है—यहाँ तक कि भजनलाल के मुख्यमंत्री बनने के समय भी पर्ची-संदर्भ विवादास्पद रहा। अब धीरेंद्र शास्त्री की सीएम से भेंट ने कांग्रेस को नया राजनीतिक तीर दे दिया है और उसने इसे भाजपा की सिफारिशी संस्कृति से जोड़ा है।

भाजपा का रुख

भाजपा प्रवक्ता एवं सीएम कार्यालय के सूत्र मुलाकात को धार्मिक और शिष्टाचार भेंट के रूप में दर्शा रहे हैं। पार्टी का कहना है कि यह कोई सियासी बैठक नहीं थी और किसी तरह के अंदरूनी फेरबदल की घोषणा के पहले रिपोर्ट्स व स्पेकुलेशन को तूल नहीं दिया जाना चाहिए।

आगे की स्थिति—नजरें विधानसभा सत्र पर

सबकी निगाहें अब 1 सितंबर से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र पर टिकी हैं। सत्र के दौरान किसी भी प्रकार के मंत्रीमंडल फेरबदल, स्पीकर या प्रमुख सदस्यों के चयन और विधानसभा में उठने वाले प्रश्नों से राजस्थान की राजनीति की दिशा स्पष्ट हो सकती है। राजनीतिक पर्यवेक्षक मानते हैं कि आने वाले दिनों में होने वाले घटनाक्रम राज्य की सियासी तस्वीर को प्रभावित करेंगे।

 

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