टीकाराम जूली पर टिप्पणी से बवाल, राहुल बोले- मोदीजी, देश मनुवाद से नहीं, संविधान से चलेगा

Rahul Gandhi

 Rahul Gandhi: राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर धार्मिक आस्था और जातिवाद को लेकर बहस छिड़ गई है। अलवर जिले के श्रीराम मंदिर में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के दर्शन के बाद, पूर्व भाजपा विधायक ज्ञानदेव आहूजा ने मंदिर में गंगाजल छिड़ककर ‘शुद्धिकरण’ किया।( Rahul Gandhi) इस घटना को लेकर भाजपा ने आहूजा को पार्टी से निलंबित कर दिया है, वहीं कांग्रेस और अन्य दलों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।

राहुल गांधी का तीखा हमला

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा:

“बीजेपी की दलित विरोधी और मनुवादी सोच का एक और उदाहरण! बीजेपी लगातार संविधान और बहुजनों के अधिकारों पर हमला करती रही है। इसलिए संविधान का सिर्फ सम्मान नहीं, सुरक्षा भी जरूरी है।
मोदी जी, देश संविधान और उसके आदर्शों से चलेगा, मनुस्मृति से नहीं, जो बहुजनों को दूसरे दर्जे का नागरिक मानती है।”

बीएपी सांसद राजकुमार रोत की भी तीखी प्रतिक्रिया

भील प्रदेश पार्टी (बीएपी) के सांसद राजकुमार रोत ने भी ‘X’ पर लिखा: “नेता प्रतिपक्ष के मंदिर दर्शन के बाद भाजपा नेता द्वारा जातिसूचक टिप्पणी और गंगाजल से शुद्धिकरण करना शर्मनाक है। यह सोच समाज में विष घोलने का काम कर रही है। आखिर इस मानसिकता को बढ़ावा कौन दे रहा है?”

क्या है पूरा मामला?

6 अप्रैल को रामनवमी के अवसर पर अलवर के एक रिहायशी क्षेत्र में श्रीराम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा समारोह आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने भाग लिया और पूजा-अर्चना की। अगले ही दिन पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा ने जूली की उपस्थिति पर आपत्ति जताते हुए कहा कि “मंदिर में अपवित्र लोग आ गए थे,” और गंगाजल छिड़ककर मंदिर का ‘शुद्धिकरण’ कर दिया।

भाजपा ने लिया एक्शन, कांग्रेस ने उठाए सवाल

घटना का वीडियो सामने आने के बाद राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भाजपा पर हमला बोला और आरोप लगाया कि भाजपा में जातिगत भेदभाव की सोच हावी है। बीजेपी ने तुरंत ज्ञानदेव आहूजा को कारण बताओ नोटिस जारी कर उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया।

राजनीतिक असर गहराता जा रहा है

यह मामला केवल धार्मिक भावनाओं तक सीमित नहीं रह गया है। राजनीतिक दल इसे संविधान, समानता और सामाजिक न्याय के मुद्दे से जोड़ते हुए आगे बढ़ा रहे हैं। आने वाले समय में यह मुद्दा राजस्थान की सियासत को किस दिशा में ले जाएगा, यह देखना दिलचस्प होगा।

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