Rajasthan Politics: जैतारण में हाल ही में कैबिनेट मंत्री अविनाश गहलोत का एक बयान राजनीतिक सरगर्मियों को बढ़ा गया है। होलिका दहन समारोह के दौरान दिए गए अपने बयान में मंत्री ने खुले मंच पर पुलिस अफसरों से कहा कि वे अवैध बजरी ट्रैक्टरों को न पकड़ें। उनके इस बयान से यह सवाल उठ रहा है कि क्या सरकार ने जानबूझकर अवैध बजरी कारोबार को संरक्षण दे रखा है, जिससे सियासी विवाद और बढ़ गया है।
कब तक सरकार मौन रहेगी?
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने मंत्री के इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि जैतारण क्षेत्र में अवैध बजरी का कारोबार जोरों पर चल रहा है और मंत्री की इस टिप्पणी से साफ हो गया है कि सरकार ने इसकी अनदेखी की है। जूली ने मुख्यमंत्री से सवाल पूछा कि क्या यह अवैध गतिविधियां उनकी सहमति से चल रही हैं? क्या सरकार ने जानबूझकर इसे बढ़ावा दिया है?
अवैध कारोबार से मुंह फेरने की अनुमति दे रहे हैं?
पार्टी के भीतर से उठ रही आवाजें इस मामले को और गंभीर बना रही हैं। विपक्षी दलों का आरोप है कि सत्ता में बैठे नेताओं के संरक्षण के बिना अवैध खनन और बजरी का कारोबार संभव नहीं हो सकता। अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या मंत्री अविनाश गहलोत ने राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल कर अपने क्षेत्र में अवैध कारोबार को बढ़ावा दिया है?
क्या सियासी संरक्षण की संभावना जताई जा रही है?
मंत्री के बयान के बाद राजनीति में गर्मी आ गई है, और कई राजनीतिक पंडित इस बात की संभावना जता रहे हैं कि कहीं यह बयान अपने राजनीतिक हितों के लिए दिया गया हो। मंत्री का यह बयान राजनीति के अंदर एक नई बहस छेड़ने वाला है, जिसमें यह सवाल उठाया जा रहा है कि क्या सत्ताधारी दल के नेताओं ने अवैध खनन और बजरी के कारोबार को सियासी संरक्षण दे रखा है।
विपक्षी दलों ने मंत्री और सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा
टीकाराम जूली और उनके समर्थकों ने इस मामले को लेकर सड़कों पर उतरने की भी चेतावनी दी है। विपक्ष का कहना है कि मंत्री का बयान सिर्फ एक संकेत है, जो यह दर्शाता है कि राज्य सरकार और सत्ताधारी दल अवैध कारोबार को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं। साथ ही, इस विवाद में मुख्यमंत्री की चुप्पी भी कई सवालों को जन्म दे रही है।
अब देखना यह है कि सरकार इस विवाद पर क्या कदम उठाती है और क्या मंत्री अविनाश गहलोत को इस पर सफाई देनी पड़ेगी या नहीं।