Operation Sindoor : सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर बड़ा बयान दिया और इस ऑपरेशन के कई अनजाने पहलुओं से पर्दा उठाया। उन्होंने बताया कि 10 मई को पाकिस्तान के साथ युद्ध औपचारिक रूप से रुका जरूर, लेकिन इसके बाद भी यह संघर्ष लंबे समय तक विभिन्न स्तरों पर चलता रहा।
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने 7 मई की सुबह ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया। इस दौरान भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान (Operation Sindoor)और पीओके (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) में कई आतंकी ठिकानों को नष्ट किया।
भारतीय कार्रवाई के जवाब में पाकिस्तानी सेना ने भी हमले किए, जिसके परिणामस्वरूप संघर्ष लगभग चार दिन तक चला। अंततः दोनों देशों के बीच समझौते के बाद 10 मई की शाम को सैन्य कार्रवाई रोक दी गई।
पुस्तक विमोचन और भारतीय सेना का जज़्बा
जनरल द्विवेदी ने मानेकशॉ सेंटर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) केजेएस ढिल्लों की लिखी पुस्तक का विमोचन किया। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक केवल एक सैन्य कार्रवाई का दस्तावेज नहीं है, बल्कि भारतीय सेना और राष्ट्र के साहस, पेशेवराना दक्षता और अडिग जज़्बे का प्रतीक है।
अनकही बातें और छिपी सच्चाइयाँ
सेना प्रमुख ने बताया कि लेखक ने उन पहलुओं को सामने लाने का प्रयास किया है, जिन्हें आमतौर पर सैनिक साझा नहीं कर पाते। उन्होंने कहा, “हम नियंत्रण रेखा पर होने वाली लड़ाइयों के इतने आदी हो गए हैं कि अक्सर हमें इसके वास्तविक नुकसान, भावनाओं और चुनौतियों का एहसास ही नहीं होता।”
जनरल द्विवेदी ने यह भी कहा कि ऑपरेशन सिंदूर वास्तव में एक “अनकही कहानी” है। उन्होंने यह जिक्र भी किया कि कैसे पाकिस्तानी सैनिकों के मरणोपरांत पुरस्कारों से जुड़े दस्तावेज गलती से सामने आए, जिससे इस संघर्ष की गंभीरता और स्पष्ट हो गई।
जनरल द्विवेदी ने स्पष्ट किया कि पुस्तक में राजनीतिक स्पष्टता, पूर्ण स्वतंत्रता, राजनीतिक-सैन्य उद्देश्यों और उन तीन मुद्दों की झलक दी गई है, जिन पर सेनाएँ हमेशा ध्यान देती हैं — बल की कल्पना, बल की सुरक्षा और बल का प्रयोग। यह पुस्तक ऑपरेशन सिंदूर की गहराई से जुड़ी घटनाओं और भारतीय सेना की वीरता का ऐतिहासिक दस्तावेज मानी जा रही है।