भारत-तुर्की व्यापारिक रिश्तों पर ब्रेक, अटल सुरंग से लेकर मेट्रो तक सबकुछ पहुंचा जांच के दायरे में

Operation Sindoor: भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य टकराव में तुर्की खुलकर पाकिस्तान के पक्ष में खड़ा नजर आया। तुर्की ने पाकिस्तान को भारत पर हमला करने के लिए ड्रोन मुहैया कराए और यहां तक कि ड्रोन अटैक के लिए अपने सैनिकों को भी भेजा। (Operation Sindoor)इस रवैये से भारत और तुर्की के संबंधों में गहरी कड़वाहट आ गई है।

भारत के पांच राज्यों में तुर्की की कंपनियों के साथ समझौते

गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और दिल्ली जैसे प्रमुख राज्यों में तुर्की की कंपनियों के साथ ऑटोमोबाइल, आईटी, मेट्रो रेल और सुरंग निर्माण क्षेत्रों में कई समझौते किए गए हैं। लेकिन अब इन समझौतों पर दोबारा विचार किया जा रहा है।

वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत और तुर्की के बीच 2024 में द्विपक्षीय व्यापार 10.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 89,794 करोड़ रुपए) का रहा, जो दोनों देशों के आर्थिक संबंधों की गहराई को दर्शाता है।

तुर्की ने भारत में किया है रणनीतिक क्षेत्रों में निवेश

इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन (IBEF) की फरवरी 2025 रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2000 से सितंबर 2024 के बीच तुर्की ने भारत में कुल 240.18 मिलियन अमेरिकी डॉलर (करीब 2,054 करोड़ रुपए) का एफडीआई किया है, जिससे वह भारत में एफडीआई के मामले में 45वें स्थान पर है। ये निवेश निर्माण, मेट्रो रेल, विमानन, शिक्षा और मीडिया जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में किए गए हैं।

अटल सुरंग में तुर्की की भूमिका

2020 में तुर्की की एक कंपनी को जम्मू-कश्मीर में स्थित अटल सुरंग के इलेक्ट्रोमैकेनिकल पार्ट की जिम्मेदारी दी गई थी। इसके अलावा 2024 में रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) ने मेट्रो परियोजना के लिए एक अन्य तुर्की कंपनी के साथ समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए थे।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत का बदला रुख

ऑपरेशन सिंदूर के सफल निष्पादन के बाद मोदी सरकार ने तुर्की के साथ चल रहे व्यापारिक और तकनीकी समझौतों की समीक्षा शुरू की है। कई परियोजनाओं की जांच हो रही है और कुछ को समाप्त भी किया जा चुका है। यह भारत की नई कूटनीतिक रणनीति का संकेत है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक हितों को सर्वोपरि मानती है।

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