बिना एनओसी भूजल निकासी पर एनजीटी ने कलेक्टरों को सख्त कार्रवाई के लिए क्यों कहा? जानिए पूरा मामला!

NGT orders
 
NGT orders: राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) की सेंट्रल जोन बेंच ने राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भूजल निकासी से संबंधित कार्रवाई पर रिपोर्ट तलब की है। यह आदेश न्यायिक सदस्य शिवकुमार सिंह और विशेषज्ञ सदस्य सुधीर कुमार चतुर्वेदी ने याचिकाकर्ता ताहिर हुसैन की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए।
बेंच ने स्पष्ट रूप से सभी जिला (NGT orders)कलेक्टरों को निर्देश दिया है कि वे अपने-अपने जिलों में बिना एनओसी (अनापत्ति प्रमाणपत्र) भूजल दोहन के मामलों में सख्त कार्रवाई करें। साथ ही, बढ़ते भूजल संकट और अत्यधिक दोहन को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने के भी निर्देश दिए गए हैं।

19 नवंबर तक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश

एनजीटी ने केंद्रीय भूजल प्राधिकरण को 2020 में ही सभी राज्यों में बिना अनुमति भूजल दोहन पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद कार्रवाई की जिम्मेदारी जिला प्रशासन पर डाल दी गई थी। अब एनजीटी ने तीनों राज्यों से 19 नवंबर 202  तक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान के 409 से अधिक औद्योगिक क्षेत्रों में बिना अनुमति के भूजल निकासी की जा रही है। यह स्थिति पर्यावरणीय दृष्टि से गंभीर मानी जा रही है और इस पर प्रभावी कार्रवाई की आवश्यकता है।

जयपुर में हर साल ढाई गुना अधिक भूजल दोहन

जल शक्ति मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, जयपुर में हर साल 222% भूजल का दोहन होता है, यानी जितना रिचार्ज होता है, उससे ढाई गुना ज्यादा निकासी की जाती है। आंकड़े बताते हैं कि पिछले 5 दशकों में 49% वर्षा की वृद्धि के बावजूद भूजल स्तर लगातार घट रहा है। इसकी वजह है पेयजल और सिंचाई के लिए अत्यधिक भूजल निर्भरता। जयपुर के 73% इलाके में भूजल ही एकमात्र जल स्रोत है, जिससे इसकी स्थिति और भी चिंताजनक हो जाती है।

 

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