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भारत की भूख का भयानक सच… 105वें स्थान पर, क्या हम भूख के संकट से उबर पाएंगे?

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Global Hunger Index 2024: जब भूख का मुद्दा उठता है, तो भारत की स्थिति चौंकाने वाली है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स (Global Hunger Index 2024) की रिपोर्ट में देश ने 127 देशों में केवल 105वां स्थान हासिल किया है, जो न केवल शर्मनाक है बल्कि चिंताजनक भी। जबकि भारत ने पिछले सालों की तुलना में कुछ सुधार किया है, यह अभी भी ‘गंभीर’ भूख की समस्या से जूझ रहा है।

इस रिपोर्ट में भारत अपने पड़ोसी देशों जैसे श्रीलंका, नेपाल और बांग्लादेश से पीछे है, और केवल पाकिस्तान और अफगानिस्तान से ऊपर है। यह आंकड़ा एक कड़ी चेतावनी है कि देश में कुपोषण, विशेषकर बच्चों में, अब भी एक गंभीर चुनौती बनी हुई है। इस स्थिति से निपटने के लिए सरकार और समाज को मिलकर ठोस और प्रभावी उपाय करने की आवश्यकता है।

भारत का स्कोर 27.3

2024 की रिपोर्ट में भारत का स्कोर 27.3 है, जो भूख की एक गंभीर समस्या को दर्शाता है। रिपोर्ट में भारत में कुपोषण के प्रसार में हाल के वर्षों में मामूली वृद्धि का उल्लेख किया गया है। हालांकि, भारत का 2024 का स्कोर 2016 के GHI स्कोर 29.3 से सुधार दर्शाता है। गौरतलब है कि 2016 में भी भारत ‘गंभीर’ श्रेणी में था, लेकिन अब भी अपने पड़ोसी देशों से काफी पीछे है।

बाल कुपोषण की चुनौतियां

भारत को बाल कुपोषण जैसी गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बच्चों में दुबलापन (18.7%) की दर विश्व स्तर पर सबसे अधिक है। बच्चों के बौनेपन की दर 35.5% है, और पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर 2.9% है। कुपोषण का प्रसार 13.7% है। हालांकि, भारत ने 2000 के बाद से अपनी बाल मृत्यु दर में उल्लेखनीय सुधार किया है, बाल कुपोषण अब भी एक गंभीर मुद्दा बना हुआ है, जिसमें दुबलापन और बौनापन दोनों ही खतरनाक रूप से उच्च स्तर पर हैं।

क्या है GHI

ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट की इस वर्ष की रिपोर्ट, जो ‘कंसर्न वर्ल्डवाइड’ और ‘वेल्टहंगरहिल्फ’ द्वारा संयुक्त रूप से प्रकाशित की गई है, यह दर्शाती है कि भारत को भूख और कुपोषण के खिलाफ गंभीर उपाय करने की आवश्यकता है। जबकि रैंकिंग में सुधार हुआ है, सरकार और नीति निर्माताओं को अभी भी इन मुद्दों का समाधान करने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है।

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