Child Obesity: बाल मोटापा अब केवल एक समस्या नहीं, बल्कि एक स्वास्थ्य आपातकाल बनता जा रहा है। भारत में बच्चों में ओबेसिटी के बढ़ते मामलों ने डॉक्टरों और विशेषज्ञों को चिंतित कर दिया है। क्या आपके बच्चे भी इस समस्या का सामना कर रहे हैं? आइए जानते हैं इसके पीछे के कारण, प्रभाव और इससे निपटने के उपाय, साथ ही सुनते हैं एक चाइल्ड स्पेशलिस्ट की राय।
बाल मोटापे के प्रमुख कारण
बाल मोटापा के कई पहलू हैं, जो इसे बढ़ावा देते हैं:
असंतुलित आहार: बच्चों को फास्ट फूड, सोडा, और पैकेज्ड स्नैक्स की लत लग गई है। ये खाद्य पदार्थ आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर नहीं होते और कैलोरी में उच्च होते।
शारीरिक गतिविधि की कमी: तकनीकी युग में, बच्चे अधिकतर समय स्क्रीन के सामने बिताते हैं। जे के लोन होस्पिटल के senior child specialist and Paediatrician associate professor डॉ. योगेश यादव ने इस पर चिंता जताते हुए कहा, “बच्चों में शारीरिक गतिविधि की कमी मोटापे का प्रमुख कारण है। बच्चों को दिन में कम से कम 60 मिनट की सक्रियता चाहिए।”
जेनेटिक फैक्टर: यदि परिवार के सदस्य मोटे हैं, तो बच्चों में मोटापे का जोखिम भी बढ़ जाता है। डॉ. अंजलि ने कहा, “जेनेटिक्स एक भूमिका निभा सकता है, लेकिन जीवनशैली को बदलकर हम इसके प्रभाव को कम कर सकते हैं।”
हार्मोनल असंतुलन: थायरॉइड जैसे हार्मोनल असंतुलन भी बच्चों में मोटापे का कारण बन सकते हैं। “हर माता-पिता को अपने बच्चे के स्वास्थ्य की नियमित जांच करानी चाहिए,” उन्होंने सलाह दी।
बाल मोटापे के प्रभाव: गंभीर परिणाम
बाल मोटापा न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव डालता है:
स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं: मोटापे से हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, और टाइप 2 मधुमेह जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
मनोवैज्ञानिक दुष्प्रभाव: मोटे बच्चे अक्सर कम आत्मविश्वास, डिप्रेशन और सामाजिक अलगाव का अनुभव करते हैं। “समाज में बच्चों को स्वीकार्यता की कमी होने से वे मानसिक रूप से प्रभावित हो सकते हैं,”डॉ. योगेश यादव ने कहा।
शैक्षणिक बाधाएं: मोटापा बच्चों के ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है, जिससे उनकी पढ़ाई में कठिनाई होती है।
समाधान: बच्चों को ओबेसिटी से बचाने के उपाय
बाल मोटापे को नियंत्रित करने के लिए हमें सक्रिय कदम उठाने की आवश्यकता है:
स्वस्थ आहार: बच्चों को संतुलित आहार दें, जिसमें फल, सब्जियां, और दुबला प्रोटीन शामिल हो। “स्वस्थ भोजन ही बच्चों के सही विकास की कुंजी है,”डॉ. योगेश यादव ने बताया। “यदि माता-पिता स्वस्थ विकल्प चुनेंगे, तो बच्चे भी वही अपनाएंगे।”
शारीरिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करें: खेल, साइकिल चलाना, और तैराकी जैसी गतिविधियों को बढ़ावा दें। “बच्चों को खेलने के लिए प्रेरित करना आवश्यक है, क्योंकि इससे उनकी मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है,” उन्होंने कहा।
सीमित स्क्रीन समय: बच्चों का स्क्रीन टाइम सीमित करें, ताकि वे ज्यादा से ज्यादा समय सक्रिय रह सकें।
सकारात्मक शरीर छवि विकसित करें: बच्चों को उनके शरीर के प्रति सकारात्मक सोच विकसित करने में मदद करें। “हमारे शब्दों का बच्चों पर गहरा प्रभाव पड़ता है,” डॉ. योगेश यादव ने कहा कि “उन्हें बताएं कि हर शरीर अलग है और यह सामान्य है।”
जागरूकता और शिक्षा की आवश्यकता
बाल मोटापा एक बढ़ती हुई चिंता है, लेकिन सही जानकारी और प्रयासों से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। स्वस्थ आदतें और सक्रिय जीवनशैली अपनाकर हम बच्चों को एक खुशहाल और स्वस्थ भविष्य दे सकते हैं। क्या हम इस बदलाव के लिए तैयार हैं?
जे के लोन होस्पिटल के जनरल फिजिश्यन ,ऐसोसिट प्रफोसर डॉ. योगेश यादव का कहना है, “हम सभी को मिलकर इस समस्या का सामना करना होगा, क्योंकि स्वस्थ बच्चे ही देश का भविष्य हैं। बाल मोटापा केवल व्यक्तिगत समस्या नहीं है; यह समाज और देश के विकास पर भी प्रभाव डालता है। यदि हम बच्चों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता नहीं देंगे, तो भविष्य में हमें गंभीर स्वास्थ्य संकटों का सामना करना पड़ेगा। माता-पिता, शिक्षक और स्वास्थ्य विशेषज्ञों को मिलकर बच्चों के लिए एक सकारात्मक वातावरण बनाना होगा। हमें उन्हें सही आहार के महत्व, नियमित शारीरिक गतिविधियों और स्वस्थ जीवनशैली के बारे में जागरूक करना होगा। केवल एक समर्पित प्रयास से ही हम इस संकट का समाधान कर सकते हैं।”
बीएमआई के महत्व
बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) एक महत्वपूर्ण टूल है जो किसी व्यक्ति के वजन और ऊंचाई के आधार पर शरीर में वसा की मात्रा का अनुमान लगाता है। WHO के अनुसार, बीएमआई के विभिन्न वर्गीकरण बच्चों के स्वास्थ्य की स्थिति का संकेत देते हैं।