Anti-Hindutva Agenda: पिछले कुछ सालों से देश में एक नया विमर्श उभर रहा है, जो न केवल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS ) बल्कि हिंदुत्व की विचारधारा को भी सवालों के घेरे में रखता है। (Anti-Hindutva Agenda)संघ पर तिरंगे और संविधान विरोधी होने से लेकर दलित और दक्षिण भारत विरोधी होने तक, अनेक आरोप लगाए जा रहे हैं। आरएसएस के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार का मानना है कि यह केवल एक नरेटिव सेट करने का प्रयास नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक पहचान और समाज में संघ के बढ़ते प्रभाव को चुनौती देने की सोची-समझी रणनीति है।
बिड़ला ऑडिटोरियम में आयोजित दीनदयाल स्मृति व्याख्यान में उन्होंने कहा कि यह न केवल घरेलू बल्कि बाहरी ताकतों का भी साझा प्रयास है, जो समाज में संघ और हिंदुत्व के प्रति अविश्वास और भ्रम फैलाने का काम कर रहा है। उन्होंने इन मुद्दों पर अपने विचार रखते हुए समाज को इस साज़िश से सावधान रहने का आह्वान किया।
संघ के खिलाफ भ्रम फैलाने का प्रयास
अरुण कुमार ने कहा कि यह नरेटिव बनाया जा रहा है कि संघ पूरे देश में हिंदी थोपना चाहता है, वह दक्षिण भारत विरोधी है, मनुवादी सोच रखता है, और दलितों का विरोधी है। उन्होंने कहा कि ऐसे आरोप संघ की छवि को खराब करने और भ्रम फैलाने के उद्देश्य से लगाए जा रहे हैं।
इतिहास और समाज को लेकर गलत धारणाएं
उन्होंने कहा कि इतिहास और समाज के बारे में भी गलत धारणाएं फैलाई जा रही हैं। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि घूंघट की प्रथा इस्लाम से आई, और जाति व्यवस्था अंग्रेजों की देन है। “हमारे समाज में पहले काम के आधार पर व्यवस्था थी, लेकिन 100-150 सालों में हम अपने मूल से कट गए हैं,” उन्होंने कहा।
विचारों की स्पष्टता की आवश्यकता
अरुण कुमार ने समाज से आग्रह किया कि वह भ्रम फैलाने वालों के खिलाफ सतर्क रहे और संघ तथा हिंदुत्व के विचारों को स्पष्टता से समझे। उन्होंने कहा, “हमारे विचारों पर गर्व करना और उन्हें सही तरीके से प्रस्तुत करना आज समय की मांग है।”