Supreme Court: सुल्ताना बेगम ने जताया लालकिले पर हक, CJI ने पूछा- ताजमहल क्यों नहीं मांगा साथ में?

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Supreme Court : मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर (द्वितीय) के परपोते की विधवा सुल्ताना बेगम की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। सुल्ताना बेगम ने खुद को बहादुर शाह जफर का कानूनी उत्तराधिकारी बताते हुए राजधानी दिल्ली के लालकिले पर कब्जे की मांग की थी।( Supreme Court ) मुख्य न्यायाधीश CJI संजीव खन्ना ने याचिका पर पहले हास्य व्यंग्य किया, फिर इसे पूरी तरह खारिज कर दिया।

CJI का तंज: “फतेहपुर सीकरी और ताजमहल क्यों नहीं मांगतीं?”

सुनवाई के दौरान CJI संजीव खन्ना ने कहा, “सिर्फ लालकिला क्यों मांग रही हैं, फतेहपुर सीकरी, ताजमहल आदि क्यों नहीं मांगतीं?” इसके बाद कोर्ट ने याचिका को मनोरंजन योग्य भी नहीं माना और कहा कि हम इस पर बहस नहीं करना चाहते।

दिल्ली हाईकोर्ट पहले ही कर चुका था याचिका खारिज

इससे पहले सुल्ताना बेगम ने 2021 में दिल्ली हाईकोर्ट में यह याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि 1857 में लालकिले पर जबरन कब्जा हुआ और बहादुर शाह जफर को रंगून भेज दिया गया।
जस्टिस रेखा पल्ली ने उस समय पूछा था कि

“150 साल से ज्यादा देर से दावा क्यों किया गया?”

इसके जवाब में उनके वकील ने कहा था कि “जब परिवार विदेश से लौटा तो नेहरू जी ने पेंशन दी, लेकिन अब हालात बहुत खराब हैं। 6000 रुपये में क्या होता है?”

बेगम का दावा: ब्रिटिशों ने छीना था पुश्तैनी हक

सुल्ताना बेगम का दावा है कि लालकिला उनके पूर्वजों ने बनवाया था, जिसे ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1857 में हड़प लिया था। इसके बाद आजादी तक ब्रिटिशों के कब्जे में रहा और फिर भारत सरकार के अधीन चला गया।

वर्तमान में कोलकाता के पास रह रहीं हैं बेगम

सुल्ताना बेगम हावड़ा (पश्चिम बंगाल) में रह रही हैं और उनका कहना है कि सरकार उनकी हालत पर ध्यान दे और उन्हें आर्थिक सहायता प्रदान करे। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस आधार पर कोई संवैधानिक राहत देने से इनकार कर दिया।

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