Bhajanlal Government: भजनलाल सरकार का मास्टरस्ट्रोक…..9 जिले और 3 संभाग का नामोनिशान मिटाया!

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Bhajanlal Government: राजस्थान की राजनीति में बड़ा धमाका! मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अगुवाई में हुई कैबिनेट बैठक में गहलोत सरकार के कार्यकाल में बनाए गए 17 नए जिलों में से 9 जिलों और 3 नए संभागों को रद्द करने का ऐलान किया गया। इस फैसले (Bhajanlal Government)के बाद प्रदेश में अब केवल 41 जिले और 7 संभाग ही रहेंगे। कैबिनेट का यह निर्णय प्रशासनिक ढांचे में बड़े बदलाव का संकेत देता है, जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है।

शनिवार को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में पूर्ववर्ती गहलोत सरकार के समय बनाए गए 17 में से 9 नए जिलों को रद्द कर दिया गया। इसके अलावा, 3 नए संभाग—सीकर, पाली और बांसवाड़ा—को भी निरस्त करने का निर्णय लिया गया। अब राजस्थान में कुल 41 जिले और 7 संभाग रहेंगे।

कैबिनेट के फैसले का कारण

कैबिनेट बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल और खाद्य मंत्री सुमित गोदारा ने बताया कि गहलोत सरकार ने चुनाव से पहले जल्दबाजी में नए जिलों का गठन किया था, जो तय मानकों पर खरे नहीं उतरते थे। इसलिए मौजूदा सरकार ने 8 जिलों को यथावत रखने और शेष 9 जिलों को समाप्त करने का फैसला किया है। इसी तरह, तीन नए संभागों को भी निरस्त कर दिया गया है।

कौन-कौन से जिले किए गए रद्द?

कैबिनेट के फैसले के तहत निम्नलिखित 9 जिलों को रद्द कर दिया गया है:

  • दूदू
  • केकड़ी
  • शाहपुरा
  • नीमकाथाना
  • गंगापुर सिटी
  • जयपुर ग्रामीण
  • जोधपुर ग्रामीण
  • अनूपगढ़
  • सांचौर

तीन नए जिलों की घोषणा भी रद्द

कैबिनेट ने उन तीन नए जिलों की अधिसूचना को भी रद्द कर दिया, जिनकी घोषणा पूर्व सरकार ने की थी, लेकिन उन्हें अधिसूचित नहीं किया गया था। इनमें शामिल हैं:

  • मालपुरा
  • सुजानगढ़
  • कुचामन

ये जिले रहेंगे यथावत
कैबिनेट ने 8 जिलों को यथावत रखने का निर्णय लिया है:

  • बालोतरा
  • खैरथल-तिजारा
  • ब्यावर
  • कोटपूतली-बहरोड़
  • डीडवाना-कुचामन
  • फलोदी
  • डीग
  • सलूंबर

संभागों की संख्या भी घटी

पाली, बांसवाड़ा और सीकर को नए संभाग बनाए जाने के फैसले को भी रद्द कर दिया गया है। अब राजस्थान में पहले की तरह कुल 7 संभाग ही रहेंगे।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और भविष्य की राह

इस फैसले के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। विपक्ष ने इस कदम की आलोचना करते हुए इसे जनविरोधी करार दिया, जबकि सरकार ने इसे प्रशासनिक मजबूती और वित्तीय प्रबंधन के लिए जरूरी बताया।

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