Madan Dilawar: राजस्थान की राजधानी जयपुर के एक स्कूल में होली खेलने पर रोक लगाने का मामला तूल पकड़ चुका है। छात्रों को चेतावनी दी गई थी कि अगर उन्होंने रंग खेला, (Madan Dilawar)तो उन्हें परीक्षा में बैठने नहीं दिया जाएगा। इस फैसले के खिलाफ छात्रों और अभिभावकों में नाराजगी देखी जा रही है, वहीं यह मुद्दा प्रदेश की राजनीति तक पहुंच गया है।
शिक्षा मंत्री का बयान
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने इस फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा, “कोई भी शैक्षणिक संस्थान इस तरह की सांस्कृतिक पाबंदी नहीं लगा सकता। भारत में होली सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि आपसी प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है। इस पर रोक लगाना गलत है।” उन्होंने CBSE को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप करने और कानूनी कार्रवाई की मांग की है।
संस्कृति बनाम अनुशासन की बहस
होली 14 मार्च को मनाई जाएगी, जो हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार है। इस मुद्दे पर अब संस्कृति और अनुशासन के बीच संतुलन को लेकर बहस छिड़ गई है। कुछ शिक्षाविदों का मानना है कि त्योहार के दौरान अनुशासनहीनता की घटनाएं बढ़ सकती हैं, इसलिए स्कूल प्रशासन ने यह फैसला लिया होगा। लेकिन क्या इसका समाधान परीक्षा से रोक लगाना है? यह सवाल अब पूरे शिक्षा तंत्र के लिए महत्वपूर्ण बन गया है।
विरोध और प्रतिक्रिया
स्कूल के इस आदेश के खिलाफ छात्रों और अभिभावकों का विरोध बढ़ता जा रहा है। कई संगठनों ने इसे कठोर नियम बताया और स्कूल प्रशासन से इस फैसले को वापस लेने की मांग की।
अब सभी की निगाहें CBSE के अगले कदम पर टिकी हैं कि क्या स्कूल प्रशासन के इस फैसले को सही ठहराया जाएगा या इस पर रोक लगाई जाएगी।