RSS पर कांग्रेस का अब तक का सबसे बड़ा हमला, खरगे बोले … ‘देश की जड़ें खोखली कर रही संघ सोच’

Political Controversy
Political Controversy: कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी तीखी टिप्पणी करते हुए आरएसएस (RSS) पर प्रतिबंध लगाने की माँग दोहराई। उन्होंने कहा कि देश की कई समस्याओं की जड़ RSS और BJP हैं और ऐतिहासिक सन्दर्भों को(Political Controversy) तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है

 खरगे का आरोप

खरगे ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्र एकता में सरदार वल्लभभाई पटेल की भूमिका अहम थी और उनकी याद को राजनीतिक लाभ के लिए Instrumentalize नहीं किया जाना चाहिए। उनका आरोप था कि कुछ लोग सरदार की छवि का उपयोग देश को बाँटने के उद्देश्य से कर रहे हैं। उन्होंने औपचारिक रूप से कहा कि पटेल ने कथित तौर पर RSS के विषय पर स्पष्ट रुख लिया था और उनके विचारों के मद्देनज़र ही कभी-कभी प्रतिबंधों की आवश्यकता पर चर्चा हुई।

इंदिरा गांधी और एकता की बात

कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी उल्लेख किया कि इंदिरा गांधी ने देश की एकता बनाए रखने के लिए कड़ी लड़ाई लड़ी — और उन हालातों का संदर्भ देते हुए कहा कि इतिहास के इन पहलुओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। खरगे ने कहा कि जो लोग आज सरदार पटेल का नाम ले रहे हैं, वे उस एकता की भावना का सम्मान करें और उसे राजनीतिक लाभ के रूप में इस्तेमाल न करें।

खरगे ने NCERT पाठ्यपुस्तकों में इतिहास और तथ्यों के प्रस्थापन पर भी आपत्ति जताई और कहा कि सिलेबस में कुछ इतिहासिक सच्चाइयों को छुपाने की कोशिश की जा रही है। साथ ही उन्होंने केंद्र की नीतियों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस में सक्रिय सदस्य बनने पर पुराने प्रतिबंध हटा दिए गए हैं, जो चिंताजनक है।

प्रधानमंत्री पर सीधा प्रहार और दृश्यांकन का सवाल

प्रेस कॉन्फ्रेंस में खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधा और कहा कि पटेल की जयंती के मौके पर मोदी का व्यवहार और प्रस्तुति (उदाहरण के तौर पर पोशाक व मंच पर बैठने का ढंग) संवेदनशीलता और तात्पर्य के अनुरूप नहीं था। उन्होंने संकेत दिया कि ऐसे आयोजनों में शालीनता और ऐतिहासिक संदर्भ का सम्मान होना चाहिए।

खरगे के इन बयानों के बाद राजनीतिक गलियारों में तीखी बहस छिड़ सकती है। कांग्रेस की यह पुरानी मांग — RSS पर प्रतिबंध — राष्ट्रीय संदर्भ में बार-बार उठती रही है और अब इसे फिर से जोर से उठाया गया है। इससे संबंधित प्रतिक्रियाएँ, विपक्ष और सरकारी पक्ष के जवाब आने पर स्थिति और स्पष्ट होगी।

 

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