Tikararam Juli Statement: जयसिंहपुरा खोर में एक दलित युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म के मामले ने राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए विपक्षी नेता धरने पर बैठ गए हैं, जिसमें नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली(Tikararam Juli Statement), मुख्य सचेतक रफीक खान, जयपुर शहर कांग्रेस जिलाध्यक्ष आरआर तिवाड़ी, और जयपुर देहात जिलाध्यक्ष गोपाल मीणा शामिल हैं। धरना स्थल पर पहुंचकर नेताओं ने पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने का आश्वासन दिया।
टीकाराम जूली ने सरकार पर जमकर हमला बोला, कहा कि राज्य में अपराधों की बाढ़ आ रही है और सरकार की नाकामी से जनता में आक्रोश फैल रहा है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री विदेश यात्रा और दिल्ली की हाजरी में व्यस्त हैं, जबकि राजस्थान में अपराधियों का आतंक बढ़ता जा रहा है। इस धरने ने एक बार फिर से सरकार की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं, और अब सभी की निगाहें इस मामले पर सरकार के कार्रवाई पर टिकी हैं।
सरकार से सहायता की अपील
टीकाराम जूली ने सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता के परिवार के लिए सरकारी नौकरी और आर्थिक सहायता की मांग की है। उन्होंने कहा कि सरकार को तुरंत एक्शन लेना चाहिए और पीड़िता तथा उनके परिवार को सुरक्षा मुहैया करानी चाहिए। जूली ने चेतावनी दी कि अगर परिवार पर दबाव डाला गया तो गवाहों के बयान बदलने का खतरा है।
गुड गवर्नेंस का अभावजूली ने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार की प्राथमिकताओं में गुड गवर्नेंस शामिल नहीं है। उन्होंने कहा, “हम इस मामले को विधानसभा में उठाएंगे और सड़क पर भी संघर्ष करेंगे। समाज में ऐसे अपराधियों का कोई स्थान नहीं होना चाहिए।” जूली ने उदाहरण देते हुए कहा कि हमें रावणों को जलाने की बजाय उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।
सरकार की संवेदनहीनताजूली ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा महिलाओं की सुरक्षा पर बड़े-बड़े दावे करते हैं, लेकिन धरातल पर स्थिति बिल्कुल अलग है। उन्होंने शिकायत की कि सरकार का कोई प्रतिनिधि पीड़ित परिवार के पास आंसू पोंछने तक नहीं पहुंचा। दोषियों को फांसी की सजा मिलनी चाहिए और परिवार को आर्थिक सहायता देने की आवश्यकता है।
महिलाओं के उत्पीड़न की बढ़ती घटनाएं
कांग्रेस के सचेतक रफीक खान ने कहा कि जब से यह सरकार बनी है, हर रोज महिलाओं के उत्पीड़न के मामले सामने आ रहे हैं। उन्होंने मांग की कि पीड़ित बच्ची को सरकारी नौकरी दी जाए और परिवार को एक करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता मिलनी चाहिए। खान ने यह भी कहा कि सरकार की ओर से कोई संवेदनशीलता नहीं दिखाई गई है और इसका खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ेगा।