Jodhpur News: जोधपुर सेंट्रल जेल में बड़ा सवाल—क्या प्रशासन किसी राज़ को दबाने की कोशिश कर रहा था? रेड मारने गए ट्रैनी IPS (SP) हेमंत कलाल, मजिस्ट्रेट और तहसीलदार को जेल के बाहर 20 मिनट तक इंतजार कराया गया। (Jodhpur News) इसके बाद टीम बिना तलाशी किए लौट गई। SP हेमंत कलाल ने इस घटना पर कड़ी नाराजगी जताई और इशारों-इशारों में जेल प्रशासन की मंशा पर सवाल उठाए। उनका कहना है कि 20 मिनट का समय किसी भी आपत्तिजनक चीज को छुपाने के लिए काफी होता है।
जेल के गेट पर ‘अटकी’ कानून की टीम!
IPS हेमंत कलाल ने बताया कि जब वे टीम के साथ जेल रेड के लिए पहुंचे, तो गेट खोलने में जेल प्रशासन ने 20 मिनट लगा दिए। इस दौरान जेल का कोई बड़ा अधिकारी मौजूद नहीं था, और मौके पर तैनात इंस्पेक्टर ने भी सहयोग करने से इनकार कर दिया। “हमने काफी देर तक बातचीत की, लेकिन किसी ने सहयोग नहीं किया। हमारे साथ मजिस्ट्रेट भी थे, फिर भी हमें रोका गया। इस दौरान जेल के अंदर क्या हुआ, यह कोई नहीं जानता।”
छुपाने के लिए मिला ‘पर्याप्त वक्त’?
SP हेमंत कलाल का मानना है कि जेल प्रशासन ने रेड रोककर अंदर कुछ छुपाने का मौका दिया।
“जेल में 16 वार्ड हैं। इतने बड़े परिसर में कुछ भी छुपाने के लिए 20 मिनट का समय पर्याप्त था।” जब अफसरों को अहसास हुआ कि अब तलाशी का कोई मतलब नहीं रह गया है, तो उन्होंने रेड किए बिना ही लौटने का फैसला किया। लेकिन मामला यहीं खत्म नहीं हुआ!
21 फरवरी को दोबारा रेड, बड़ा राज़ खुला!
IPS हेमंत कलाल ने हार नहीं मानी और 21 फरवरी को SDM और पुलिस टीम के साथ दोबारा रेड करने पहुंचे। इस बार उन्होंने वार्ड नंबर-6 के बैरक नंबर-2 की तलाशी ली और वहां से एक ‘गुप्त मटकी’ बरामद हुई।
यह मटकी साधारण नहीं थी—
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ऊपर से सीमेंट लगा हुआ था, ताकि किसी को शक न हो।
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अंदर एक दूसरी मटकी रखी थी, जिसमें कपड़े में लपेटा मोबाइल फोन था।
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साथ में सिम कार्ड और चार्जिंग केबल भी मिली।
SP कलाल ने इस पर गंभीर चिंता जताई और कह… “यह पूरी योजना के साथ किया गया था। सिर्फ कैदी यह सब कर पाएं, यह मुश्किल है। निश्चित रूप से जेल स्टाफ की भी मिलीभगत हो सकती है।”
जेल प्रशासन का बचाव—’हम निर्दोष हैं!’
जब इस मामले ने तूल पकड़ा, तो जेल प्रशासन सफाई देने सामने आया।
जेल अधीक्षक प्रदीप लखावत ने कहा… “हमारे पास 135 CCTV कैमरे हैं, जो जेल के हर कोने पर नजर रखते हैं। हमने पुलिस को कभी नहीं रोका, बल्कि नियमों के अनुसार ही काम किया।” उन्होंने यह भी कहा कि जेल प्रशासन और पुलिस का मकसद एक ही है—अपराध को रोकना। लेकिन सवाल उठता है कि अगर वे निर्दोष हैं, तो जेल के अंदर मोबाइल फोन और सिम कैसे पहुंचे?
अब उठ रहे बड़े सवाल!
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अगर जेल में कोई गैरकानूनी गतिविधि नहीं थी, तो मजिस्ट्रेट और SP को 20 मिनट तक क्यों रोका गया?
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क्या 20 मिनट का वक्त जेल के अंदर कुछ छुपाने के लिए दिया गया था?
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कैदियों के पास मोबाइल फोन और सिम कैसे पहुंचे? क्या जेल स्टाफ भी इस खेल में शामिल है?
यह मामला अब तूल पकड़ रहा है। क्या सरकार और पुलिस इस साजिश का पर्दाफाश कर पाएंगे, या फिर यह रहस्य हमेशा के लिए दफन हो जाएगा?