जयपुर की ट्रैफिक व्यवस्था में छुपा एक गंदा धंधा उजागर हुआ है। बजाज नगर थाना पुलिस ने अरावली विहार इलाके से एक ऐसे संगठित वसूली गैंग का पर्दाफाश किया है जिसमें होमगार्ड जवान वकार अहमद, यातायात कांस्टेबल भवानी सिंह और पास के पंचर वाले मुश्ताक को गिरफ्तार किया गया है। आरोप है कि वे चालान बनाने के बजाय नागरिकों से नकद या UPI स्कैन कराकर भुगतान करवाते थे — और वह रकम इन अधिकारियों के निजी खातों में जाती थी।

शिकायत से खुला झूठा चेहरा

मामला उस वक्त सामने आया जब एक यात्री को हेलमेट न पहनने पर रोका गया और उसे बताया गया कि चालान बनेगा। इसके बजाय होमगार्ड जवान ने उसे कहा कि पैसा स्कैनर पर करके पंचर वाले को दे दें। पीड़ित ने शक कर पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना दी। जांच टीम जब मौके पर पहुंची तो पंचर वाले को पकड़ा गया और स्कैनर मशीन जब्त कर ली गई।

पुलिस पूछताछ में पता चला कि यह रैकेट महीनों से सक्रिय था — ड्यूटी के दौरान चालान बनाना छोड़कर लोग सीधे वसूली करते थे और ड्यूटी खत्म होने पर पैसा बाँटकर हिसाब करते थे। पुलिस ने यह भी बताया कि जिन चालानों की राशि सरकारी कोष में जमा होनी चाहिए थी, उन्हें निजी लेन-देन में बदल दिया जा रहा था।

सिस्टम पर उठ रहे गंभीर सवाल

यह मामला केवल तीन व्यक्तियों का नहीं रह गया — इसे देखकर सवाल उठते हैं कि क्या यह एक isolated घटना है या कहीं बड़े नेटवर्क और सांठ-गांठ का संचालन चल रहा है। पूछताछ में अमरुद बेचने वाले और एक मेडिकल स्टोर संचालक के नाम भी सामने आ रहे हैं, जिससे शक है कि बाहरी लोगों की सहायता से यह चक्र चल रहा था।

जनता के लिए चेतावनी और प्रशासनिक जिम्मेदारी

इस घिनौने खेल ने नागरिकों की सुरक्षा और सरकारी तंत्र की साख दोनों को हिला दिया है। यदि किसी पुलिसकर्मी द्वारा चालान के बजाय निजी खाते में पेमेंट देने को कहा जाए, तो तुरंत पुलिस कंट्रोल रूम को सूचित करें, घटना का समय, स्थान और अधिकारी का नाम/बैज नंबर रिकॉर्ड करें और संभव हो तो वह स्कैन ट्रांज़ैक्शन का स्क्रीनशॉट या रसीद रखें।

सरकारी जवाबदेही जरूरी

स्थानीय प्रशासन को तत्काल यह स्पष्ट करना चाहिए कि:

  • क्या इन आरोपियों के ऊपर विभागीय और फौजदारी कार्रवाई की जा रही है?
  • क्या इस तरह की घटनाओं के और प्रमाण हैं — और किन अधिकारियों या नागरिकों का इसमें हाथ है?
  • क्या ट्रैफिक चालान सिस्टम और उसके रिवेन्यू-ट्रैकिंग में सुधार कर पैदाइश रोकथाम की जाएगी?

यह खुलासा सिर्फ एक खबर नहीं — यह सिस्टमिक विफलता का संकेत है। जब कानून लागू करने वाले ही कानून की धज्जियाँ उड़ाने लगें, तो नागरिकों का भरोसा उठ जाता है। प्रशासन पर दबाव बनाना और पारदर्शी, कड़ा और शीघ्र जांच-तफ्तीश सुनिश्चित कराना अब अनिवार्य है।