Rajasthan News: राजस्थान हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार के मामले में पूर्व कलेक्टर नन्नूमल पहाड़िया को बड़ी राहत दी है। अदालत ने उनके खिलाफ ACB की कार्रवाई को खारिज करते हुए कहा कि उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं था। अदालत के इस फैसले से (Rajasthan News)यह मामला एक बार फिर चर्चा में आ गया है, जिसमें ACB की जांच पर ही सवाल खड़े हो गए हैं।
कैसे ACB खुद घिरी सवालों में?
शिकायतकर्ता इकबाल सिंह ने आरोप लगाया था कि उसकी कंपनी दिल्ली-वडोदरा एक्सप्रेसवे का निर्माण कर रही थी। इस दौरान अलवर के तत्कालीन कलेक्टर नन्नूमल पहाड़िया और भूप्रबंधन अधिकारी (RAS) अशोक सांखला हर महीने रिश्वत की मांग कर रहे थे। इकबाल सिंह ने आरोप लगाया कि नवंबर 2021 से फरवरी 2022 तक के बकाया मंथली रिश्वत की रकम के लिए उस पर दबाव बनाया जा रहा था। 22 अप्रैल 2022 को उन्होंने ACB में इसकी शिकायत दी।
लेकिन अदालत ने पाया कि… पहाड़िया का 13 अप्रैल को ही ट्रांसफर हो चुका था और 18 अप्रैल को वे पद से रिलीव भी हो गए थे। ACB के ट्रैप में रिश्वत लेते पकड़े नहीं गए। बरामद की गई रिश्वत की रकम उनके पास से नहीं मिली, बल्कि RAS अधिकारी अशोक सांखला के सहयोगी नितिन की स्कूटी से बरामद हुई।
ACB के पास नहीं थे पुख्ता सबूत!
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अभियोजन पक्ष को यह साबित करना जरूरी होता है कि सरकारी अधिकारी ने खुद रिश्वत मांगी या ली। ACB के पास कोई ऑडियो या वीडियो सबूत नहीं था, जिससे साबित हो कि पहाड़िया ने रिश्वत मांगी।
उनका ट्रांसफर हो चुका था, तो फिर रिश्वत की मांग कैसे कर सकते थे? ACB ने रिश्वत की रकम भी किसी अन्य अधिकारी के स्टाफ की स्कूटी से बरामद की, पहाड़िया से नहीं।
अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में यदि बिना ठोस सबूत के मुकदमा चलाया जाएगा, तो यह एक खतरनाक उदाहरण बनेगा। इससे भ्रष्टाचार के असली मामलों की जांच प्रभावित होगी और सरकारी अधिकारियों पर गलत तरीके से दबाव बनाने का रास्ता खुल सकता है।
रिटायरमेंट से 99 दिन पहले हुई थी गिरफ्तारी
पूर्व कलेक्टर नन्नूमल पहाड़िया को ACB ने उनके रिटायरमेंट से ठीक 99 दिन पहले, 23 अप्रैल 2022 को गिरफ्तार किया था। इसी दिन उन्हें सस्पेंड कर दिया गया। हालांकि, 29 जून 2022 को हाईकोर्ट ने उन्हें और सह-आरोपी अशोक सांखला को जमानत दे दी।
राजनीति में भी आजमाया हाथ, लेकिन नहीं मिला टिकट
रिटायरमेंट के बाद पूर्व IAS अधिकारी नन्नूमल पहाड़िया राजनीति में उतरने की तैयारी करने लगे। उन्होंने 2023 के विधानसभा चुनाव में वैर सीट से भाजपा से टिकट मांगा। लेकिन भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया और उनकी जगह पूर्व सांसद बहादुर सिंह कोली को मैदान में उतार दिया। इसके बाद उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के समझाने के बाद वे पीछे हट गए और चुनाव नहीं लड़ा।
क्या ACB ने बनाया था ‘सनसनीखेज’ मामला?
इस केस में ACB की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि बिना सबूत किसी सरकारी अधिकारी पर रिश्वत का केस बनाना, एक ‘सनसनीखेज’ माहौल बनाने जैसा है। अब यह मामला यह सवाल खड़ा करता है कि… क्या ACB ने बिना पर्याप्त जांच किए केस दर्ज किया?क्या किसी राजनीतिक दबाव में यह कार्रवाई हुई थी? क्या यह सरकारी अधिकारियों पर गलत तरीके से दबाव बनाने की साजिश थी? हाईकोर्ट के इस फैसले ने राजस्थान में भ्रष्टाचार के मामलों की जांच प्रणाली को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है।