Jaipur Diwali: राजस्थान की राजधानी जयपुर, जिसे प्रेम से छोटी काशी कहा जाता है, इस दिवाली एक अभूतपूर्व रंग और रौशनी में डूबी हुई है। शहर की चारदीवारी के भीतर और बाहर हर नुक्कड़, हर गली, हर बाजार जैसे रौशनी का साम्राज्य बना हुआ है। (Jaipur Diwali) दीपावली का पर्व इस बार और भी खास है, क्योंकि शुभ योग के संयोग से यह पर्व और अधिक शुभ एवं समृद्धिदायक होने की मान्यता है। सभी श्रद्धालु मां लक्ष्मी के आगमन के लिए पूरे हर्षोल्लास के साथ तैयार हैं और परंपराओं को निभाते हुए हर घर में दीप जलाने और लक्ष्मी पूजन की तैयारियां जोरों पर हैं।
इस दिवाली के शुभ अवसर पर शश, कुलदीपक शंख और लक्ष्मी योग का संयोग बन रहा है, जिससे आस्था और उम्मीदों की जगमगाहट और भी प्रबल हो उठी है।
ज्योतिषीय परंपराओं के अनुसार, इस वर्ष के शुभ मुहूर्तों में की गई पूजा से घर-परिवार में खुशियों और समृद्धि का वास होगा। जयपुर के बाजार और गलियां एक अद्भुत जगमगाहट में खो गए हैं, जहां लोग इस पर्व का आनंद लेने और अद्भुत प्रकाश की छटा देखने उमड़ पड़े हैं।
शुभ योग से दीपावली का विशेष महत्व
इस वर्ष दीपावली पर शश, कुलदीपक शंख, और लक्ष्मी योग का संयोग बन रहा है, जिससे इस त्योहार का महत्व और भी अधिक बढ़ गया है। ज्योतिषियों का मानना है कि शुभ योग के कारण दीपावली की शुभता कई गुणा बढ़ जाएगी।
दीपावली पूजन का शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य पं अक्षय शास्त्री के अनुसार 31 अक्टूबर को प्रदोष काल में पहला शुभ मुहूर्त शाम 5:36 से रात 8:11 तक रहेगा। दूसरा मुहूर्त शाम 6:25 से रात 8:15 तक रहेगा, जिसमें वृषभ लग्न में पूजन किया जाएगा।
लक्ष्मी पूजन के साथ बही-खातों का भी पूजन होगा। सबसे पहले बही खाते और रोकड़ पर रोली से ‘शुभ-लाभ’ और ‘श्री गणेशाय नम:’ लिखें।
हल्दी-चंदन से स्वास्तिक का निशान बनाएं, बही-खाते और पेन पर मौली बांधे। यदि गैजेट्स पर मौली न बांध सकें, तो केवल अर्पित कर दें। इसके बाद कुमकुम या चंदन से तिलक कर अक्षत चढ़ाएं और लक्ष्मी मां के सामने रखें।
दीपावली पूजन के सर्वोत्तम मुहूर्त
- शाम का मुहूर्त: 6:41 से 6:53, जिसमें प्रदोष काल, स्थिर वृषभ लग्न और कुंभ राशि का नवमांश रहेगा।
- चौघड़िया मुहूर्त:
- शाम 4:20 से रात 8:57
- रात 12:11 से 1:47
- रात 3:24 से सुबह 5:01 तक
- प्रदोष काल: शाम 5:41 से रात 8:16 तक
- वृष लग्न: शाम 6:31 से रात 8:25 तक
- सिंह लग्न: रात 1:05 से 1:45 तक