जयपुर ब्लास्ट का गुमशुदा चेहरा मिर्जा शादाब बेग, अल-फलाह यूनिवर्सिटी लिंक ने एजेंसियों को नए रहस्यों तक पहुंचाया

Al-Falah University

किस पर क्या आरोप हैं?

जांच में जो नाम सबसे अधिक उभरा है, वह है मिर्जा शादाब बेग — जो कथित रूप से इंडियन मुजाहिदीन (IM) का सक्रिय सदस्य बताया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, बेग ने 2007 में अल-फलाह यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक्स में बी.टेक पूरा किया और इसके बाद तकनीकी जिम्मेदारियों के साथ आतंकवादी गतिविधियों में शामिल हो गया। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि उसकी इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि IED (बम) निर्माण और विस्फोटकों के तकनीकी पक्ष संभालने में उपयोगी रही।

जांच का पाया और आखिरी लोकेशन

अधिकारियों ने बताया कि बेग पिछले 18 वर्षों से फरार रहा है। उसे लेकर उपलब्ध खुफिया जानकारी के अनुसार उसकी आखिरी पुष्टि की गई लोकेशन 2019 में अफगानिस्तान में दर्ज हुई थी। जांच अधिकारी यह भी रिपोर्ट कर रहे हैं कि यूनिवर्सिटी से जुड़े कम-से-कम एक और संदिग्ध का नाम रिपोर्ट में शामिल है, जो IM के साथ नाता रखने के साथ 2007–2008 में हुए हमलों में सक्रिय रहा बताया जा रहा है।

2008 जयपुर धमाके

मई 2008 में जयपुर के विभिन्न हिस्सों में एक श्रृंखला बम धमाकों ने शहर और देश को झकझोर दिया था। इन धमाकों में करीब 80 लोगों की मौत हुई और दर्जनों लोग घायल हुए। विस्फोट मुख्यतः सांगानेरी गेट, जौहरी बाजार और चांदपोल बाजार के आस-पास हुए थे। चांदपोल हनुमान मंदिर के निकट एक जिंदा बम भी बरामद किया गया था — इस मामले में पुलिस ने बाद में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया था।

क्या कहा जा रहा है

गोपनीय रिपोर्ट और सुरक्षा एजेंसियों के निष्कर्ष अभी सार्वजनिक प्रवर्तन के स्तर पर औपचारिक रूप से साझा नहीं किए गए हैं। संबंधित विभागों के सूत्र बताते हैं कि जांच अभी भी जारी है और संभावित कड़ियों की पड़ताल की जा रही है। स्थानीय व केंद्र सरकार की एजेंसियां मामले पर सतर्कता बढ़ा चुकी हैं।

अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े इस खुलासे ने नए सिरे से सुरक्षा और विश्वविद्यालयों में निगरानी के मुद्दे खड़े कर दिए हैं। अधिकारियों का कहना है कि शिक्षण संस्थानों के भीतर संदिग्ध गतिविधियों की शीघ्र पहचान और रोकथाम के लिए बेहतर इंटेलिजेंस साझा करना आवश्यक है।

 

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