Global Tariff Impact: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 25% टैरिफ ने व्यापारिक दुनिया में हलचल मचा दी है। 7 अगस्त से लागू हुए इस टैरिफ के बाद, 20 अगस्त से इसे 50% तक बढ़ा दिया गया है। इससे भारतीय निर्यातक गंभीर संकट का(Global Tariff Impact) सामना कर रहे हैं।
टैरिफ क्या है और यह कैसे काम करता है?
टैरिफ एक प्रकार का टैक्स होता है, जिसे आयातक देश अपने उत्पादों पर वसूलता है। जब कोई देश, जैसे भारत, अमेरिका को अपने उत्पादों का निर्यात करता है, तो उस पर अमेरिकी सरकार टैरिफ लगा सकती है। अमेरिका में लागू 50% टैरिफ से भारतीय सामान महंगे हो जाएंगे, जो अमेरिकी बाजार में उनकी मांग को घटा सकते हैं।
भारतीय सामान महंगे और अमेरिकी ग्राहकों के लिए भारी
उदाहरण के तौर पर, अगर भारत से एक पैंट 500 रुपए में आयात होता था, तो अब 50% टैरिफ लगने पर पैंट की कीमत 750 रुपए हो जाएगी। इसके साथ ही, जब आयातक इसे खरीदते हैं तो उनपर लॉजिस्टिक खर्च भी जुड़ता है, जिससे अंतिम कीमत 850 रुपए तक पहुंच जाती है। अब, यह पैंट अमेरिकी ग्राहकों के लिए 850 रुपए की हो जाएगी, जो पहले 500 रुपए में मिलती थी।
टैरिफ वसूली की प्रक्रिया
जैसे-जैसे 50% टैरिफ लागू होगा, अमेरिकी ग्राहकों को अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी। इसके परिणामस्वरूप, बाजार में भारतीय सामान की मांग घटेगी, और भारतीय कंपनियों के निर्यात में कमी आएगी। उदाहरण के तौर पर, ज्वेलरी का 5000 रुपए का सामान अब 7500 रुपए का हो जाएगा, जिससे अमेरिका में ग्राहक पहले जैसा सामान नहीं खरीद पाएंगे।
अमेरिकी ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति और भारत के निर्यात पर असर
ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति का मकसद अमेरिकी उत्पादों को बढ़ावा देना है। जब भारतीय सामान महंगे होंगे, तो अमेरिकी सामानों की बिक्री में वृद्धि होगी। भारतीय कंपनियों के लिए यह चुनौतीपूर्ण स्थिति होगी, क्योंकि उनका निर्यात प्रभावित होगा और व्यापार में नुकसान होगा।
भारत के व्यापारिक क्षेत्रों पर टैरिफ का प्रभाव
टैरिफ के कारण तमिलनाडु की कपड़ा कंपनियों को लगभग 6000 करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है। गुजरात और जयपुर की ज्वेलरी इंडस्ट्री भी संकट का सामना कर रही है। गुजरात की ज्वेलरी इंडस्ट्री के निर्यात में लगभग 70% की कमी आई है, जिससे हजारों नौकरियों पर संकट मंडरा रहा है। अमेरिकी टैरिफ के कारण भारतीय कंपनियों को नुकसान हो सकता है, और उनके उत्पादों की मांग घट सकती है। इस नीति के तहत अमेरिकी बाजार में भारतीय सामान महंगे हो जाएंगे, जिससे अमेरिकी उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा मिलेगा। यह वैश्विक व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।
