Retaliatory Tariff: भारत ने अमेरिका द्वारा भारतीय स्टील और एल्युमिनियम उत्पादों पर लगाए गए भारी टैरिफ के जवाब में अब कठोर रुख अपनाने का निर्णय लिया है। ( Retaliatory Tariff) वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (WTO) को सूचित करते हुए भारत ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि वह अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी टैरिफ (Retaliatory Tariff) लागू करेगा।
2018 से चल रहा है टैरिफ विवाद
मार्च 2018 में अमेरिका ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए भारतीय स्टील पर 25% और एल्युमिनियम पर 10% का आयात शुल्क लगाया था। 12 मार्च 2025 को इन दरों को संशोधित कर फिर से लागू किया गया, और 10 मई को अमेरिका ने इन टैरिफ की विस्तृत जानकारी दी, जो 12 मई से प्रभावी हुई।
1.91 अरब डॉलर के अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क
भारत ने 9 मई 2025 को WTO के काउंसिल फॉर ट्रेड इन गुड्स को सूचित किया कि वह अमेरिका के 29 प्रमुख उत्पादों पर रिटेलिएटरी टैरिफ लगाने की योजना बना रहा है। इसमें शामिल हैं:
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सेब
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बादाम
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अखरोट
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नाशपाती
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रासायनिक उत्पाद
इन वस्तुओं का भारत में बड़ा आयात होता है, जैसे कि सिर्फ बादाम का आयात $543 मिलियन से अधिक का है।
भारतीय स्टील उद्योग ने सरकार के कदम को सराहा
इंडियन स्टील एसोसिएशन ने भारत सरकार के इस फैसले का स्वागत किया। संगठन का मानना है कि अमेरिका के टैरिफ के कारण भारतीय कंपनियों की प्रतिस्पर्धात्मकता पर असर पड़ा है। जवाबी टैरिफ से टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील, और सेल जैसी कंपनियों को राहत मिल सकती है।
अमेरिका की दलील: “राष्ट्रीय सुरक्षा”
अमेरिका ने WTO को कहा कि उसने टैरिफ राष्ट्रीय सुरक्षा हितों को ध्यान में रखकर लगाए हैं, इसलिए वे WTO के सेफगार्ड नियमों के अंतर्गत नहीं आते। हालांकि WTO ने इस पर असहमति जताई और इन्हें सेफगार्ड टैरिफ के अंतर्गत माना, जिससे भारत को प्रतिकार का अधिकार मिल गया।
समझिए सरल भाषा में
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टैरिफ: किसी आयातित वस्तु पर लगाया गया टैक्स, जिससे घरेलू उद्योग को सुरक्षा मिलती है।
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जवाबी शुल्क (Retaliatory Tariff): जब कोई देश एकतरफा टैरिफ लगाता है, तो दूसरा देश उसी तरह के उत्पादों पर टैक्स लगाकर व्यापार संतुलन बनाए रखने की कोशिश करता है।