सोने में बड़ा उछाल चाहिए? बाबा वेंगा की ग्लोबल चेतावनी से 2026 में कीमतें इतिहास रचने की उम्मीद

gold price 2026

gold price 2026: सोने की कीमतों में हालिया उतार-चढ़ाव ने निवेशकों की नज़रें मोड़ी हुई हैं। कुछ दिनों पहले रिकॉर्ड स्तर ₹1,33,000 प्रति 10 ग्राम के आसपास पहुंचने के बाद भाव गिरकर अब ₹1,24,970 प्रति 10 ग्राम पर आ गए हैं। बाजार में यह उतार-चढ़ाव बाबा वेंगा(gold price 2026) की भविष्यवाणियों और वैश्विक आर्थिक संकेतों से जोड़कर देखा जा रहा है।

पिछले दिनों के भाव (प्रति ग्राम के पारम्परिक रूप में)

बाज़ार रिकॉर्ड के अनुसार पिछले महीने लगातार उतार-चढ़ाव दर्ज हुए। 13 नवंबर को सोने (खरा) की कीमत ₹12,382 प्रति ग्राम थी; 14 नवंबर को भाव बढ़कर ₹12,704 प्रति ग्राम पहुंचा। 15 और 16 नवंबर को भाव ₹12,508 प्रति ग्राम पर स्थिर रहे।

बाबा वेंगा का 2026-वाला प्रभाव

न्यूज18 की रिपोर्ट के हवाले से यह चर्चा उभर रही है कि बाबा वेंगा ने 2026 में ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस के संकेत दिए हैं। जबकि उन्होंने सीधे तौर पर सोने के दामों का अनुमान नहीं लगाया, उनके बताए आर्थिक जोखिमों के परिदृश्यों—कैश क्राइसिस, बैंकिंग तनाव, और वैश्विक मंदी—को मान कर सोने की माँग बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में कुछ विश्लेषक मानते हैं कि सोने की कीमतें ₹1,50,000 से ₹2,00,000 प्रति 10 ग्राम के बीच साल 2026 में छू सकती हैं, अगर वैश्विक वित्तीय तनाव गहरा हुआ।

क्यों बढ़ता या घटता है सोने का भाव?

सोने की कीमतों पर कई कारक एक साथ प्रभाव डालते हैं—वैश्विक आर्थिक संकेत (GDP, विनिमय दर), ऊर्जा व तेल संकट, वित्तीय बाज़ारों का भरोसा, केंद्रीय बैंकों की नीतियाँ और निवेशकों का जोखिम-अपेक्षाएँ। अगर नकदी-संकट की आशंका बढ़ती है, तो सुरक्षित परिसंपत्ति के रूप में सोने में मांग बढ़ती है और भाव चढते हैं।

निवेशकों का रुख और विशेषज्ञ की टिप्पणी

विशेषज्ञों का कहना है कि भावों में स्थिरता का दौर यह संकेत देता है कि बाजार कुछ सामान्य स्थिति की ओर लौट रहा है। हालांकि, नकारात्मक वैश्विक रवैये के चलते 17 नवंबर को भारत में सोने की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई। रिपोर्ट लिखे जाने तक घरेलू बाजार में 18 कैरेट — ₹9,373 प्रति ग्राम, 22 कैरेट — ₹11,455 प्रति ग्राम और 24 कैरेट — ₹12,497 प्रति ग्राम पर दाम कारोबार कर रहे थे।

निवेशकों के लिए क्या करें?

प्रो-टिप: निवेशक बेहतर होगा कि वे दीर्घकालिक वित्तीय लक्ष्यों, पोर्टफोलियो विविधीकरण और जोखिम-सहनशीलता के आधार पर निर्णय लें। भविष्यवाणियों और मीडिया-कथनों को एक संकेत के रूप में देखा जा सकता है, पर उन्हें अकेले आधार बनाकर निवेश करना जोखिम भरा हो सकता है।

 

 

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