Diwali 2025 : दीपावली पर्व को लेकर लंबे समय से चल रहा असमंजस आज समाप्त हो गया। राजस्थान सरकार ने 21 अक्टूबर 2025 (मंगलवार) को राज्य अवकाश घोषित किया है। यद्यपि आदेश में सीधे “दीपावली” शब्द का उल्लेख नहीं है, यह वही तिथि है जिस पर श्री साकेत पंचांग, बूंदी ने शास्त्रीय गणनाओं के आधार पर( Diwali 2025 ) दीपोत्सव मनाने का निर्णय लिया था।
श्री साकेत पंचांग का निर्णय अब राज्य स्तर पर मान्यता प्राप्त
ज्योतिषाचार्य अक्षय शास्त्री ने पहले ही स्पष्ट किया था कि 20 अक्टूबर की संध्या तक चतुर्दशी तिथि विद्यमान रहेगी, जबकि अमावस्या की प्रधानता 21 अक्टूबर को होगी। इसलिए धर्मसंगत रूप से दीपावली 21 अक्टूबर को मनाई जानी चाहिए। राजस्थान सरकार द्वारा घोषित अवकाश ने इस निर्णय की आधिकारिक पुष्टि कर दी है।
राज्य सरकार को पंचांग परिवार का आभार
श्री साकेत पंचांग बूंदी परिवार ने कहा:
“राजस्थान सरकार ने समस्त सनातन धर्मावलंबियों की भावनाओं का सम्मान करते हुए 21 अक्टूबर का अवकाश घोषित किया है। इसके लिए हम राज्य सरकार का हार्दिक धन्यवाद और अभिनंदन करते हैं।”
पंचांग परिवार ने आगे कहा,
“धर्मसंगत गणना को सम्मान देना ही वास्तविक प्रशासनिक संवेदनशीलता है। सरकार का यह निर्णय धर्म, परंपरा और जनभावनाओं के प्रति समर्पण का प्रतीक है।”
धर्म, गणना और जनता की भावना का सम्मान
राज्य सरकार द्वारा 21 अक्टूबर का अवकाश घोषित होना यह सिद्ध करता है कि जब शास्त्र और श्रद्धा संगठित हों, तो सत्य स्वयं शासन के स्वरूप में प्रकट होता है। यह फैसला बूंदी के श्री साकेत पंचांग की गणना पर विश्वास की ऐतिहासिक पुष्टि है।
श्री साकेत पंचांग: शासन ने स्वीकारा पंचांग का महत्व
छोटी काशी बूंदी के विद्वानों और पंचांग प्रेमियों में इस निर्णय से हर्ष की लहर है। पंचांग परिवार ने उद्घोष किया:
“आख़िरकार सत्य के आगे झुकना पड़ा — राजस्थान सरकार का यह निर्णय दर्शाता है कि बूंदी की गणना अब पूरे राज्य में प्रतिष्ठित हो चुकी है।” धर्मसिंधु ने कहा: अमावास्यायां दीपोत्सवः।” और शासन ने इसे स्वीकार किया — 21 अक्टूबर को दीपोत्सवः।
राज्य सरकार के इस निर्णय से बूंदी के विद्वानों और पंचांग प्रेमियों में खुशी की लहर है। सभी का मत एक है: 21 अक्टूबर की दीपावली अब केवल तिथि नहीं, बल्कि सत्य, श्रद्धा और सनातन गणना की विजय है।
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी आधिकारिक स्रोतों और श्री साकेत पंचांग, बूंदी की गणनाओं पर आधारित है। हालांकि, पाठक अपनी व्यक्तिगत धार्मिक मान्यताओं और राज्य/स्थानिक आदेशों के अनुसार अंतिम निर्णय स्वयं लें।