Kirori Lal Meena: राजस्थान की दौसा विधानसभा उपचुनाव ने राज्य की राजनीति में नए समीकरण बनाए हैं। मंत्री किरोड़ी लाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा की हार ने सत्ताधारी और विपक्षी खेमे के बीच बहस को जन्म दिया। यह हार सिर्फ एक राजनीतिक झटका नहीं है, बल्कि इससे मंत्री किरोड़ी लाल के(Kirori Lal Meena) राजनीतिक और व्यक्तिगत जीवन पर भी गहरा असर पड़ा है।
भाई की हार पर भावुक हुए किरोड़ी लाल मीणा
दौसा उपचुनाव में अपने भाई जगमोहन मीणा की हार ने मंत्री किरोड़ी लाल मीणा को गहरी चोट दी है। उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए अपने भाई को “सीधा-साधा गाय” बताया और इसे विरोधियों की सोची-समझी साजिश करार दिया। उन्होंने महाभारत के अभिमन्यु का उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे अभिमन्यु को घेरकर हराया गया था, वैसे ही उनके भाई को भी राजनीतिक दांव-पेंच में उलझा दिया गया।
एसआई भर्ती और इस्तीफे पर मंत्री का बयान
एसआई भर्ती परीक्षा रद्द होने और अपने इस्तीफे को लेकर मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने बताया कि परीक्षा रद्द करने का फैसला अब मुख्यमंत्री के हाथ में है। इस्तीफे के सवाल पर उन्होंने कहा कि जब तक मुख्यमंत्री इसे स्वीकार नहीं करते, वह मंत्री पद की जिम्मेदारियां निभाते रहेंगे।
कांग्रेस ने जीता उपचुनाव, बीजेपी को झटका
दौसा उपचुनाव में कांग्रेस के डीसी बैरवा ने 2300 वोटों के अंतर से बीजेपी के उम्मीदवार जगमोहन मीणा को हराया। कांग्रेस को 75536 वोट और बीजेपी को 73236 वोट मिले। इस हार ने बीजेपी के भीतर रणनीतिक सवाल खड़े कर दिए हैं और दौसा में कांग्रेस की मजबूत पकड़ को उजागर किया है।
राजनीतिक बहस और भविष्य की रणनीति
किरोड़ी लाल मीणा के भावुक बयान ने राजनीतिक बहस को और तेज कर दिया है। हार के पीछे बीजेपी की रणनीतिक चूक है या कांग्रेस की कुशल योजना, यह सवाल पार्टी के भीतर आत्ममंथन का विषय बन गया है। दौसा उपचुनाव के नतीजे ने आगामी चुनावों के लिए सभी राजनीतिक दलों को सतर्क कर दिया है।