Operation Sindoor: पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीति को वैश्विक मंचों पर प्रस्तुत करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा गठित सात प्रतिनिधिमंडलों में कांग्रेस द्वारा भेजे गए चार नामों में से केवल एक को ही शामिल किया गया है। इस फैसले पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।(Operation Sindoor) कांग्रेस ने बताया कि 16 मई को केंद्र सरकार के अनुरोध पर पार्टी ने चार नाम भेजे थे: आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, सैयद नासिर हुसैन और अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग। लेकिन अंतिम सूची में केवल आनंद शर्मा को प्रतिनिधिमंडल में शामिल किया गया। बाकी तीन नेताओं को बाहर कर दिया गया, जिससे पार्टी में असंतोष फैल गया।
जयराम रमेश का केंद्र पर हमला
कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने चार अन्य नेताओं – शशि थरूर, मनीष तिवारी, अमर सिंह और सलमान खुर्शीद – को प्रतिनिधिमंडलों में शामिल किया, जबकि ये नाम पार्टी की स्वीकृति के बिना चुने गए। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “यह दिखाता है कि मोदी सरकार कितनी असंवेदनशील है और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दों पर भी सस्ती राजनीति करती है।” उन्होंने कहा कि कांग्रेस अपने नेताओं की भागीदारी का समर्थन करती है, लेकिन संसदीय परंपराओं की अनदेखी निंदनीय है।
कांग्रेस ने की सर्वदलीय बैठक की मांग
रमेश ने कहा कि केंद्र को सर्वदलीय बैठक बुलाकर 22 फरवरी 1994 के संकल्प और उसके बाद की घटनाओं पर संसद में चर्चा करनी चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि थरूर को प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व सौंपना सरकार की “शरारती राजनीति” का प्रमाण है।
विदेश दौरे पर जाएंगे 51 नेता
ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में भारत के आतंकवाद विरोधी रुख को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत करने के लिए सात प्रतिनिधिमंडल बनाए गए हैं। इन दलों में कुल 51 नेता शामिल हैं, जिनमें 31 एनडीए और 20 गैर-एनडीए से हैं। ये प्रतिनिधिमंडल अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका, खाड़ी देशों और लैटिन अमेरिका का दौरा करेंगे।
कौन कर रहा नेतृत्व?
सात प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व बैजयंत पांडा, रवि शंकर प्रसाद (बीजेपी), संजय कुमार झा (जेडीयू), श्रीकांत शिंदे (शिवसेना), शशि थरूर (कांग्रेस), कनिमोझी (डीएमके), और सुप्रिया सुले (एनसीपी-एसपी) कर रहे हैं। ये दल 32 देशों के साथ-साथ ब्रुसेल्स स्थित यूरोपीय संघ मुख्यालय का दौरा करेंगे।