BJP New President: भारतीय जनता पार्टी (BJP) इन दिनों संगठनात्मक असमंजस के दौर से गुजर रही है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे ने पार्टी के अंदर पहले से चल रही राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की कवायद को एक बार फिर ठंडे बस्ते में डाले जाने की संभावना है। (BJP New President)अब पार्टी की पूरी ऊर्जा उपराष्ट्रपति पद के नए चेहरे की तलाश में लग गई है, जिससे संगठन चुनाव एक बार फिर टलते नजर आ रहे हैं।
राष्ट्रीय अध्यक्ष की रेस में लगी ब्रेक
पहले भाजपा को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को लेकर RSS के साथ सामंजस्य बिठाने की चुनौती थी। अब धनखड़ के इस्तीफे ने एक नई पेचीदगी खड़ी कर दी है। ऐसे में राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा फिलहाल मुश्किल दिख रही है, खासकर जब संसद का मानसून सत्र भी चल रहा हो। इसके बाद बिहार विधानसभा चुनाव की हलचल भी पार्टी को संगठनात्मक बदलाव से रोक सकती है।
राज्यों को करना होगा और इंतजार
राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा में देरी का असर राज्यों पर भी पड़ा है। उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात और हरियाणा जैसे अहम राज्यों में अब तक नए प्रदेश अध्यक्षों की घोषणा नहीं हो सकी है। पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं में बेचैनी है कि नेतृत्व की स्पष्टता कब आएगी। लेकिन अभी उन्हें और इंतजार करना पड़ सकता है।
अब तक BJP ने 36 में से 28 राज्यों में नए या दोबारा प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति कर दी है। इससे यह संकेत मिल रहा था कि पार्टी जल्दी ही केंद्रीय नेतृत्व में भी बदलाव कर सकती है। मगर अब यह प्रक्रिया फिर से टल गई है।
क्या बिहार चुनाव फिर से बनेगा बाधा?
जिस तरह से 2020 में बिहार चुनाव के चलते कई संगठनात्मक फैसले टले थे, उसी तरह 2025 के विधानसभा चुनाव की आहट एक बार फिर BJP के लिए समय सीमा तय कर सकती है। ऐसे में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को यह तय करना होगा कि वह उपराष्ट्रपति पद की चुनौती के साथ-साथ संगठन में जरूरी बदलाव कब और कैसे करेगा।
BJP राष्ट्रीय अध्यक्ष: संघ और भाजपा में चल रही खींचतान
भाजपा और संघ के बीच भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर खींचतान जारी है। बीते 28 जून को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले और संघ के अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ दिल्ली स्थित संघ कार्यालय में एक अहम बंद कमरे की बैठक की। यह बैठक औपचारिक रूप से घोषित नहीं की गई थी, लेकिन इसके असर कुछ ही दिनों में साफ दिखाई देने लगे।
बैठक में कई संगठनात्मक मुद्दों पर चर्चा हुई, जिनमें सबसे अहम मुद्दा था-बीजेपी के अलग-अलग राज्य इकाइयों में लंबे समय से लंबित आंतरिक चुनावों को दोबारा शुरू करना और उन्हें तेजी से पूरा करना। इस बैठक में अध्यक्ष पद के संभावित चेहरों की एक शॉर्टलिस्ट पर भी चर्चा हुई, लेकिन फाइनल फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर छोड़ा गया है।
इंडिया टुडे के मुताबिक संघ के एक वरिष्ठ नेता, “संघ अपने सहयोगी संगठनों के रोजमर्रा के कार्यों में हस्तक्षेप नहीं करता। हम किसी व्यक्ति विशेष पर चर्चा नहीं करते, यह बीजेपी नेताओं का फैसला होता है कि उनका अध्यक्ष कौन होगा? वैचारिक मामलों में हमारा सहयोगात्मक दृष्टिकोण है।”
बैठक के बाद संगठनात्मक गतिविधियों में तेजी देखने को मिली। 36 संगठनों में से 32 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में चुनावों की शुरुआत पहले ही हो चुकी थी। इनमें से कुछ की घोषणा दिसंबर में हुई थी और तीन-उत्तराखंड, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल-की घोषणा जून के अंत तक कर दी गई।
राम माधव का बयान: संघ दबाव नहीं बनाता
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व महासचिव राम माधव ने इस संबंध में हाल ही में कहा था, “संघ कोई दबाव डालने वाला संगठन नहीं है, बल्कि जब जरूरत हो, वह एक ‘सुविधा प्रदाता’ की भूमिका निभाता है।” राम माधव ने यह टिप्पणी बीजेपी और संघ के बीच राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर चल रही चर्चाओं के संदर्भ में की। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं संघ से हैं। अमित शाह और जेपी नड्डा भी संघ पृष्ठभूमि से हैं।”
मार्च 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नागपुर स्थित संघ मुख्यालय का दौरा किया था, जो किसी भी मौजूदा प्रधानमंत्री के लिए पहला अवसर था। इस यात्रा को राजनीतिक विश्लेषकों ने संघ और बीजेपी के बीच चल रही बातचीत के लिहाज से एक अहम संकेत माना था।
उन्होंने आगे कहा कि नए अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया चल रही है और जल्द ही इसका ऐलान होगा। राम माधव ने यह भी स्पष्ट किया कि संघ किसी भी तरह की रुकावट पैदा करने वाला संगठन नहीं है।
भा.ज.पा. अध्यक्ष के लिए किन नामों की हो रही है चर्चा?
BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की रेस में कई दिग्गज नेताओं के नाम सामने आए हैं:
- धर्मेंद्र प्रधान (केंद्रीय मंत्री)
- शिवराज सिंह चौहान (पूर्व मुख्यमंत्री, अब कैबिनेट मंत्री)
- मनोहर लाल खट्टर (पूर्व मुख्यमंत्री, अब कैबिनेट मंत्री)
- भूपेंद्र यादव (कैबिनेट मंत्री और संगठन के जानकार)
जगदीप धनखड़ के इस्तीफे ने BJP की रणनीतिक प्राथमिकताओं को बदल दिया है। अब पार्टी को न केवल नया उपराष्ट्रपति चुनना है, बल्कि संगठनात्मक स्थिरता लाने के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति पर भी जल्द निर्णय लेना होगा-वरना यह देरी आगामी चुनावी रणनीतियों पर असर डाल सकती है।