राजघराने में बढ़ी तकरार: देवस्थान विभाग के फैसले ने सिद्धि कुमारी की उम्मीदों पर पानी फेरा

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Rajasthan politics

Rajasthan politics: बीकानेर के पूर्व राजघराने की संपत्ति विवाद में बीजेपी विधायक सिद्धि कुमारी को बड़ा झटका लगा है। देवस्थान विभाग ने उनके पक्ष में दिए गए फैसले को पलटते हुए (Rajasthan politics) राज्यश्री कुमारी, मधुलिका कुमारी और हनुवंत सिंह को ट्रस्ट का ट्रस्टी मान लिया है। इस नए आदेश के बाद राज्यश्री कुमारी को जूनागढ़ और लालगढ़ सहित अन्य संपत्तियों पर अधिकार मिल गया है।

बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले का प्रभाव

देवस्थान विभाग ने यह फैसला बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश को आधार बनाते हुए लिया है। इससे राज्यश्री कुमारी के प्रभाव वाले ट्रस्ट को मजबूती मिली है और अब वह संपत्तियों पर अधिकार के साथ दौरा कर सकती हैं।

राज्यश्री कुमारी ने लगाए गंभीर आरोप

मीडिया से बात करते हुए राज्यश्री कुमारी ने अपनी भतीजी और बीकानेर पूर्व की विधायक सिद्धि कुमारी पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि उनकी मां सुशीला देवी के निधन के बाद से उन्हें परेशान किया जा रहा है। राज्यश्री ने आरोप लगाया कि सिद्धि कुमारी ने पुलिस में झूठे मामले दर्ज करवाए और संपत्तियों पर कब्जा करने के लिए बाउंसर तैनात किए।

पांच ट्रस्टों पर गहराया विवाद

इस विवाद में राजघराने की बेशकीमती संपत्तियों और पांच ट्रस्टों का जिक्र प्रमुख है:

  1. महाराजा गंगा सिंह ट्रस्ट
  2. महाराजा राय सिंह ट्रस्ट
  3. करणी सिंह फाउंडेशन
  4. करणी चैरिटेबल ट्रस्ट
  5. महारानी सुशीला कुमारी ट्रस्ट

पहले इन ट्रस्टों को राज्यश्री कुमारी देखती थीं, लेकिन सुशीला देवी के निधन के बाद सिद्धि कुमारी ने इन पर दावा करते हुए ट्रस्टी बदल दिए थे।

देवस्थान विभाग का पलटा फैसला

27 मई 2024 को देवस्थान विभाग ने सिद्धि कुमारी के पक्ष में फैसला सुनाया था, लेकिन अब नए आदेश में पुराने ट्रस्टियों को मान्यता दी गई है। इस निर्णय से सिद्धि कुमारी को बड़ा झटका लगा है।

परिवार की इज्जत बचाने की अपील

राज्यश्री कुमारी ने कहा कि वह विवादों से बचना चाहती हैं और परिवार की इज्जत बरकरार रखना चाहती हैं। हालांकि, यह विवाद राजघराने की आंतरिक लड़ाई को उजागर कर रहा है। इस संपत्ति विवाद का समाधान अब अदालत और प्रशासन की जांच पर निर्भर है। फिलहाल, यह मामला बीकानेर में चर्चा का मुख्य विषय बना हुआ है।

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