मुख्य निष्कर्ष — संक्षेप में
- कुल विधायकों की संख्या: 243
- कुल करोड़पति विधायकों की संख्या: 218 (≈90%)
- कुल घोषित संपत्ति: ≈ ₹2,193 करोड़
- औसत संपत्ति प्रति विधायक: ≈ ₹9.2 करोड़
- पिछला हाल (17वीं): करोड़पति विधायक 194 (≈81%), औसत संपत्ति ≈ ₹4.32 करोड़
सबसे अमीर और सबसे गरीब विधायकों का फ़ासला
रिपोर्ट के मुताबिक सबसे अमीर विधायक कुमार प्रणय (बीजेपी, मुंगेर) हैं, जिनकी घोषित संपत्ति ≈ ₹170 करोड़+ दर्ज है। दूसरे स्थान पर अनंत सिंह (जदयू, मोकामा) हैं, जिनके पास ≈ ₹100 करोड़+ संपत्ति है। वहीं सबसे कम संपत्ति वाले विधायक मुरारी पासवान (बीजेपी, पीरपैंती) के पास केवल ≈ ₹6 लाख से थोड़ा अधिक संपत्ति दर्ज है।
पार्टीवार करोड़पति विधायक (संख्या)
| पार्टी | कुल विधायक | क्रोड़पति विधायक |
|---|---|---|
| जदयू | 85 | 78 |
| बीजेपी | 89 | 77 |
| राजद | 25 | 24 |
| लोजपा (राम विलास) | 19 | 16 |
| कांग्रेस | 6 | 6 |
| AIMIM | 5 | 5 |
| हम | 5 | 4 |
| राष्ट्रीय लोक मोर्चा | 4 | 4 |
| सीपीएम | 1 | 0 |
| सीपीआई-एमएल | 2 | 1 |
पार्टीवार औसत संपत्ति (₹ करोड़)
| पार्टी | कुल विधायक | औसत संपत्ति (₹ करोड़) |
|---|---|---|
| राष्ट्रीय लोक मोर्चा | 4 | 22.93 |
| लोजपा (राम विलास) | 19 | 13.66 |
| जदयू | 85 | 9.53 |
| बीजेपी | 89 | 8.68 |
| लोजपा (अन्य) | — | — |
| राजद | 25 | 5.80 |
| HAM (हम) | 5 | 6.16 |
| कांग्रेस | 6 | 4.82 |
| AIMIM | 5 | 2.10 |
| सीपीआई–एमएल | 2 | 1.46 |
| सीपीएम | 1 | — |
क्या संकेत मिलते हैं?
ADR की रिपोर्ट इस बात का संकेत देती है कि राजनीतिक प्रतिनिधित्व में धन का प्रभाव बढ़ रहा है। औसत संपत्ति में हुई दोगुनी वृद्धि यह बताती है कि संपत्ति एवं चुनावी राजनीति के बीच संबंध और अधिक स्पष्ट होता जा रहा है। यह असमानता समाज और जनप्रतिनिधित्व के गणित पर सवाल उठाती है—विशेषकर तब जब सामान्य जनता की आय अपेक्षाकृत स्थिर रहे।
निगरानी और पारदर्शिता क्यों ज़रूरी?
विधायकों की संपत्ति का खुलासा पारदर्शिता के लिए आवश्यक है, परन्तु यह भी महत्वपूर्ण है कि चुनावी वित्त और स्रोतों की निगरानी कसी जाए। ADR जैसी संस्थाएँ केवल डेटा प्रकाशित करती हैं; नीति-निर्धारकों और निर्वाचन आयोग को यह देखना चाहिए कि धन और राजनीति के रिश्ते में किस तरह के नियम, सुधार या सीमा-रेखा आवश्यक हैं।
