Struggle to Success: राजस्थान के राजसमंद जिले के देवगढ़ में रहने वाले भंवरलाल रावल का सपना था कि उनकी बेटियां शिक्षा के क्षेत्र में नाम कमाएं और समाज में एक मिसाल बनें। (Struggle to Success)अपनी बेटियों को डॉक्टर बनाने के लिए भंवरलाल ने हर कुर्बानी दी, यहां तक कि अपनी जमीन तक बेच दी। उनका सपना पूरा हुआ जब उनकी बेटियां कविता और पद्मा डॉक्टर बनीं।
बेटी कविता की सफलता: एमसीआई परीक्षा में पास
कविता ने विदेश में एमबीबीएस की पढ़ाई की और फिर जयपुर में इंडियन मेडिकल एग्जाम की तैयारी की। हाल ही में, कविता ने एमसीआई की परीक्षा पास की और सरकारी डॉक्टर बनने का गौरव हासिल किया। यह उनके माता-पिता के लिए सबसे खास दिन था, जब उन्होंने अपनी बेटी को डॉक्टर बनते देखा। उनकी खुशी आंसुओं के रूप में छलक पड़ी। यह सफलता न केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि पूरे रावल समाज के लिए ऐतिहासिक बन गई।
कठिन मेहनत और संघर्ष: दो साल की नीट तैयारी
कविता और पद्मा दोनों बहनों ने अपनी शिक्षा देवगढ़ के श्रीजी पब्लिक स्कूल और विद्या निकेतन स्कूल से की। इसके बाद, दोनों ने कोटा में दो साल तक नीट की तैयारी की। पद्मा का मेडिकल कॉलेज बरेली में चयन हुआ, जबकि कविता ने विदेश में एमबीबीएस किया। आर्थिक तंगी के बावजूद, दोनों बहनों ने कठिनाइयों का सामना करते हुए अपनी मेहनत और संघर्ष से अपने माता-पिता का सपना पूरा किया।
प्रेरणा की मिसाल: संघर्ष से सफलता तक
कविता और पद्मा की सफलता यह साबित करती है कि मुश्किल हालातों में भी अगर मेहनत और दृढ़ संकल्प हो, तो कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है। भंवरलाल रावल और उनकी बेटियों की यह प्रेरणादायक कहानी आज पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन गई है और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी