असम जनसांख्यिकीय बदलाव का शिकार

एक कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी कि असम “जनसांख्यिकीय परिवर्तन का एक बड़ा शिकार” रहा है। उन्होंने कहा कि ईसाई आबादी लगभग 6–7 प्रतिशत के आसपास है और यदि अन्य छोटी आबादी वाले समुदायों को छोड़ दिया जाए तो हिंदू आबादी 40 प्रतिशत से अधिक नहीं बचती।

घुसपैठ को बताया मुख्य कारण

सरमा ने इस तेजी से हुए बदलाव के लिए अवैध घुसपैठ को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि माजुली जैसे जिलों में मुस्लिम आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई, जिसे वे स्थानीय जनसंख्या की स्वाभाविक वृद्धि से जोड़कर नहीं देखते बल्कि अवैध प्रवास का नतीजा मानते हैं।

केंद्र की जनसांख्यिकी मिशन को समर्थन

मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए ‘जनसांख्यिकी मिशन’ का स्वागत किया और इसे इस समस्या के समाधान की दिशा में पहला निर्णायक कदम बताया। उन्होंने कहा कि इस मिशन से राज्यों में जनसांख्यिकीय परिवर्तन की निगरानी और समाधान आसान होगा।

2011 की जनगणना के आंकड़े क्या कहते हैं?

2011 की जनगणना के अनुसार असम में हिंदुओं की हिस्सेदारी लगभग 61.47 प्रतिशत और मुस्लिमों की हिस्सेदारी लगभग 34.22 प्रतिशत थी। सरमा के द्वारा प्रस्तुत वर्तमान अनुमानों के मुताबिक़ यह संतुलन काफी बदल चुका है — जो राज्य की राजनीतिक और सामाजिक बहसों में नए इरादे और सवाल खड़े कर सकता है। असम में अवैध प्रवास और नागरिकता से जुड़ी चर्चाएँ वर्षों से राजनीतिक और सामाजिक विवाद का विषय रही हैं। सरमा के ताज़ा दावे इन बहसों को फिर से तेज़ कर सकते हैं और आगामी नीतिगत कदमों पर असर डाल सकते हैं।