अंता में बीजेपी-कांग्रेस आमने-सामने, निर्दलीय मीणा ने बिगाड़ा पूरा समीकरण – अब किसकी होगी जीत?

Anta bypoll


Anta bypoll: राजस्थान की अंता विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए प्रचार रविवार शाम को बंद हो गया। अंतिम दिन में भाजपा और कांग्रेस दोनों ने बड़े नेताओं के जरिए जनसंपर्क तेज किया — मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा व वसुंधरा राजे ने बीजेपी प्रत्याशी मोरपाल सुमन के समर्थन में रोड शो किया, जबकि कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने (Anta bypoll)जनता को संबोधित कर शक्ति प्रदर्शन किया। निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा के मजबूत असर से मुकाबला त्रिकोणीय बन गया है।

सीएम भजनलाल का रोड शो…

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने अजीतपुरा बालाजी से लेकर ब्रह्मपुरी बालाजी तक लंबा रोड शो किया। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस व प्रतिद्वंदियों पर तीखा हमला करते हुए कहा, “आज जो पैसे बांट रहे हैं, वो कल तक गला काट रहे थे — ऐसे लोगों को जनता माफ नहीं करेगी।” रोड शो में वसुंधरा राजे, प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ और उपमुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा भी मौजूद रहे।

वसुंधरा राजे ने कहा कि यह मुकाबला जनबल बनाम धनबल का है और भरोसा जताया कि जनबल (जनता) इस बार भारी पड़ेगा।

 शक्ति प्रदर्शन और संदेश

कांग्रेस ने आखिरी दिन मांगरोल में भव्य जनसभा आयोजित की, जिसमें अशोक गहलोत, गोविंद सिंह डोटासरा, टीकाराम जूली और अन्य नेताओं ने भाषण दिए। गहलोत ने प्रादेशिक कल्याणकारी नीतियों और विकास एजेंडे को रेखांकित करते हुए कहा कि यह चुनाव सेवाभाव और जनकल्याण के कामों को आगे बढ़ाने का अवसर है।

कौन-कौन मैदान में?

  • बीजेपी: मोरपाल सुमन (राजे की पसंद)
  • कांग्रेस: प्रमोद जैन भाया (गहलोत के करीबी, पूर्व मंत्री)
  • निर्दलीय: नरेश मीणा — त्रिकोणीय मुकाबले में निर्णायक भूमिका

यह सीट भाजपा विधायक कंवरलाल मीणा के अयोग्य घोषित होने के बाद रिक्त हुई थी।

राजनीय मायने — पार्टी एकता और लोकमान

इस उपचुनाव को भाजपा के लिए संगठनात्मक एकता की परीक्षा माना जा रहा है। जीत मिलने पर मुख्यमंत्री भजनलाल के नेतृत्व को बल मिलेगा और प्रदेश में भाजपा के नियंत्रण का संकेत मिलेगा। वहीं कांग्रेस के लिए प्रमोद जैन भाया की जीत गहलोत की लोक-कल्याणकारी राजनीति में जनता के भरोसे का परिचायक माने जाएगी।

मीणा का असर और सामाजिक समीकरण

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि मीणा समाज सहित आदिवासी और OBC मतदाताओं में नरेश मीणा की पकड़ ने दोनों पार्टियों की उम्मीदों पर असर डाला है। अंता क्षेत्र में जातिगत समीकरण, विकास मुद्दे और राज्य सरकार की छवि मतदान पर निर्णायक हो सकते हैं। पिछले चुनावों के आंकड़े बताते हैं कि यह सीट समय-समय पर बारी-बारी बदलती रही है — कांग्रेस (2008, 2018) और भाजपा (2013, 2023) ने यहां जीत दर्ज की है।

वोटर्स क्या कह रहे हैं?

स्थानीय लोग विकास, कानून-व्यवस्था और प्रतिनिधित्व को प्राथमिकता दे रहे हैं और कई मतदाता का कहना है कि वे प्रादेशिक और जातिगत समीकरणों के साथ-साथ पार्टी के प्रदर्शन को भी देख रहे हैं। निर्दलीय की एंट्री ने कई पारंपरिक वोट बैंक को प्रभावित किया है और अंतिम परिणाम को अनिश्चित बना दिया है।

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