US 50% Tariff: डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा भारतीय सामानों पर 50% आयात शुल्क लगाने के फैसले ने निर्यातकों और उद्योगों में बेचैनी बढ़ा दी है। इसके बाद केंद्र सरकार ने कई स्तरों पर रणनीतियाँ तैयार करने का काम शुरू कर दिया है ताकि भारतीय निर्यातकों की बाज़ार (US 50% Tariff) तक पहुंच और रोज़गार सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
निर्यातकों की चिंताएँ — FIEO ने वित्त मंत्री से की मुलाकात
भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (FIEO) के अध्यक्ष एस.सी. रल्हन के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय वित्त मंत्री से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि अचानक लगाए गए 50% टैरिफ से भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता प्रभावित होगी और कई श्रम-प्रधान उद्योगों में निर्यात-आधारित रोज़गार संकट में पड़ सकते हैं।
वित्त मंत्री का आश्वासन — सरकार निर्यातकों के साथ
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने निर्यातकों को भरोसा दिलाया कि सरकार उनकी समस्याओं का समाधान करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाएगी कि नौकरियाँ सुरक्षित रहें। उन्होंने उद्योग जगत से अपील की कि वे इस चुनौती के दौरान कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए सतर्क रहें।
FIEO का बयान — सरकार से त्वरित एवं योजनाबद्ध रणनीति की मांग
FIEO ने कहा कि सरकार ने निर्यातकों को आश्वस्त किया है और मंत्रालय-स्तरीय समन्वय तथा वित्तीय व नीतिगत उपायों पर काम शुरू कर दिया गया है। संगठन ने कहा कि निर्यातकों की बाज़ार पहुंच व प्रतिस्पर्धा बनाए रखने के लिए सहायता पैकेज, लागत-घटाने के उपाय और वैकल्पिक बाज़ार खोजने जैसी पहल प्राथमिकता होनी चाहिए।
किस क्षेत्रों पर सबसे ज़्यादा असर पड़ेगा?
विशेष रूप से निम्नलिखित श्रम-प्रधान और निर्यात-भारित सेक्टर्स पर असर गहरा पड़ने की आशंका है:
- झींगा (shrimp) व समुद्री खाद्य निर्यात
- परिधान और टेक्सटाइल (garments & textiles)
- हीरा व रत्न-आभूषण (diamonds & gemstones)
- चमड़ा व फुटवियर (leather, shoes)
- जूते-चप्पल और अन्य विनिर्मित श्रमिक-प्रधान सामान
सरकार संभावित कदम
- वित्त मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालय के समन्वित उपाय — एक्सपोर्ट सब्सिडी, टैक्स राहत या टैरिफ समायोजन पर विचार।
- वैकल्पिक बाज़ार खोजने के लिए व्यापार मिशन और एफओसीओ रणनीतियाँ।
- निर्यातकों के लिए आपात वित्तीय सहायता और क्रेडिट सुविधाएँ।
- उद्योग-विशेष रीस्किलिंग/जॉब-प्रोटेक्शन योजनाएँ ताकि रोजगार सुरक्षित रहें।
क्या आगे होगा?
स्क्रू-अप प्रभाव और नीतिगत प्रतिक्रिया दोनों पर नजर रखी जा रही है। सरकारी और उद्योग दोनों तरफ से त्वरित समन्वय की आवश्यकता है ताकि निर्यातकों की प्रतिस्पर्धात्मकता बनाए रखी जा सके और बड़ी श्रम-आधारित अर्थव्यवस्था में रोज़गारों की रक्षा सुनिश्चित की जा सके।
