2027 की जनगणना नहीं होगी सामान्य… पहली बार जाति गिनेगी सरकार, डेटा बनेगा हथियार

Digital Census

Digital Census: भारत सरकार ने घोषणा की है कि देश में अगली जनगणना वर्ष 2027 में कराई जाएगी। यह जनगणना कई मायनों में ऐतिहासिक होगी, क्योंकि यह पहली बार पूरी तरह डिजिटल माध्यम से संचालित की जाएगी और इसमें जाति आधारित आंकड़ों को भी शामिल किया जाएगा।

जनगणना दो चरणों में होगी

  • पहला चरण – हाउस लिस्टिंग ऑपरेशन (Houselisting Operation – HLO): इसमें प्रत्येक घर की स्थिति, उसमें उपलब्ध सुविधाएं और संसाधनों की जानकारी एकत्रित की जाएगी।
  • दूसरा चरण – जनसंख्या गणना (Population Enumeration – PE): इसमें हर व्यक्ति की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और जातिगत जानकारी दर्ज की जाएगी।

प्रमुख तिथियां

  • बर्फीले और दुर्गम क्षेत्रों में संदर्भ तिथि: 1 अक्टूबर 2026
  • अन्य सभी क्षेत्रों में संदर्भ तिथि: 1 मार्च 2027

जनगणना होगी पूरी तरह डिजिटल

सरकार इस बार जनगणना को मोबाइल ऐप और सेल्फ-एन्यूमरेशन विकल्प के माध्यम से कराने जा रही है। नागरिक स्वयं भी मोबाइल से अपनी जानकारी भर सकेंगे, जिससे प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और तेज़ हो जाएगी।

सुरक्षा के होंगे सख्त इंतजाम

डेटा संग्रहण, ट्रांसमिशन और स्टोरेज के दौरान कड़े साइबर सुरक्षा मानकों को अपनाया जाएगा ताकि नागरिकों की जानकारी सुरक्षित रह सके।

कुछ अहम तथ्य

  • यह भारत की 16वीं जनगणना होगी और स्वतंत्रता के बाद 8वीं बार यह प्रक्रिया हो रही है।
  • करीब 34 लाख एन्यूमरेटर, सुपरवाइज़र और 1.3 लाख अधिकारी इसमें भाग लेंगे।
  • 2011 के बाद यह पहली जनगणना होगी, जो कोविड-19 के चलते 2021 में स्थगित हो गई थी।

गृह मंत्रालय की समीक्षा बैठक

रविवार को गृह मंत्री अमित शाह ने जनगणना की तैयारियों को लेकर एक हाईलेवल रिव्यू मीटिंग की। बैठक में गृह सचिव गोविंद मोहन, जनगणना आयुक्त मृत्युञ्जय कुमार नारायण और अन्य अधिकारी शामिल हुए।

क्यों खास है 2027 की जनगणना?

  • पहली बार जातिगत आंकड़ों को शामिल किया जाएगा, जिससे नीतिगत योजना और सामाजिक न्याय को मजबूती मिलेगी।
  • डिजिटल डेटा कलेक्शन से कागज़ी काम में कमी आएगी और विश्लेषण तेज़ होगा।
  • सुरक्षित प्रणाली से भविष्य के लिए विश्वसनीय आंकड़े तैयार होंगे।

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