“कांग्रेस के राजनीतिक कदम: क्या ‘स्मार्ट पॉलिटिक्स’ से बदल सकते हैं चुनावी समीकरण?”

Congress strategy

Congress strategy: कांग्रेस पार्टी अपने पुराने गढ़ों को मजबूत करने और संभावित जीत वाली सीटों पर फोकस करके एक व्यवस्थित और व्यावहारिक रणनीति पर चल रही है. कांग्रेस सीटों का वैज्ञानिक वर्गीकरण कर रही है. कांग्रेस ने इस बार एक रोचक और व्यावहारिक प्रयोग किया है. ( Congress strategy )पार्टी ने विधानसभा सीटों को तीन श्रेणियों ए, बी और सी कोटि में बांटा है.

विधानसभा सीटों का वर्गीकरण

ए श्रेणी की सीटें वे हैं जहां पार्टी की मजबूत उपस्थिति है और जहां चुनाव जीतने की पूरी संभावना है. बी श्रेणी में वे सीटें हैं जहां थोड़े प्रयासों से जीत को हासिल किया जा सकता है. सी श्रेणी की सीटें सबसे चुनौतीपूर्ण मानी गयी हैं जहां न सिर्फ कांग्रेस, बल्कि महागठबंधन के अन्य घटक दल भी खास प्रदर्शन नहीं कर पाये हैं. यह वर्गीकरण न केवल संगठन को लक्षित काम करने में मदद करेगा बल्कि महागठबंधन के भीतर सीटों के संतुलित वितरण की भी भूमिका निभायेगा.

पुरानी जीत की तलाश में नयी चाल

कांग्रेस की रणनीति का एक बड़ा हिस्सा उन सीटों को वापस हासिल करने पर केंद्रित है, जहां उसे पहले जीत मिली थी या जहां से मामूली अंतर से हार हुई थी. 2015 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 29 सीटों पर सफलता मिली थी. 2020 में भले ही प्रदर्शन कमजोर रहा लेकिन कई सीटें ऐसी थीं जहां हार का अंतर 10,000 से कम रहा जैसे बरबीघा. जहां कांग्रेस प्रत्याशी सिर्फ 100 वोटों से पीछे रह गये. इन्हीं सीटों को लेकर अब पार्टी जोर-आजमाइश कर रही है. नरकटियागंज, बेतिया, रीगा, बेनीपट्टी, अमौर, प्राणपुर, कुशेश्वरस्थान, बेगूसराय, लखीसराय, और टिकारी जैसी सीटों पर संगठनात्मक गतिविधियां तेज हो गयी हैं.

जनसंपर्क के नये प्रयोग: “माई बहिन मान योजना”

पार्टी इन सीटों पर न केवल उम्मीदवारों की पहचान और बूथ मैनेजमेंट पर काम कर रही है, बल्कि सामाजिक संवाद और संपर्क अभियानों को भी धार दे रही है. इसी क्रम में शुरू की गयी है “माई बहिन मान योजना”. जिसके तहत महिला मतदाताओं, अल्पसंख्यकों और पिछड़े वर्गों में कांग्रेस अपने सामाजिक कार्यक्रमों के माध्यम से सीधा संवाद स्थापित कर रही है. इसका उद्देश्य है कि मतदाताओं तक भावनात्मक और सामाजिक पहुंच बनाना.

महागठबंधन में नयी मांगों की गूंज

कांग्रेस अब महागठबंधन के भीतर एक नयी आवाज में बोल रही है. वह चाहती है कि चुनावी साझेदारी में उसे वही सीटें दी जाएं जो उसके लिए व्यवहारिक रूप से लाभकारी हों. सी कोटि की सीटें जिन पर जीत की संभावना बेहद कम है उन्हें वह राजद या अन्य दलों के हिस्से में डालने का सुझाव दे रही है. यह संदेश साफ है कि कांग्रेस अब “सैक्रिफाइस मोड” में नहीं बल्कि “स्मार्ट पॉलिटिक्स मोड” में आ चुकी है.

क्या यह रणनीति रंग लायेगी?

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो कांग्रेस की यह रणनीति देर से सही और दुरुस्त है. यदि पार्टी जमीनी स्तर पर संगठन को सशक्त कर पाती है और महागठबंधन में अपनी बात प्रभावशाली तरीके से रख पाती है, तो उसके लिए 15-20 अतिरिक्त सीटें जीतना भी असंभव नहीं होगा.

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version